कुफ़ु की वजेह से हमारे जिन कालिमा गो मुस्लिमो भाईओ की इज़्ज़त आबरू ख़राब हुई है उसको दुबारा बहाल करना उन्हें इज़्ज़त देना अपने समाज में उठाना बिठाना आम तौर से शादी बियाह करना हत्ता के सारा भेदभाव मिट जाये और एक उम्मत बन जाये। यहाँ एक बात और नोट करलें की कुफू का ऐतेबार सिर्फ दीनदारी हो (किफायत फ़िद्दीन) यानि दीनदारी देख के शादी बियाह आम हो ना के हसब नसब, ऊँच नीच, शरीफ …
Month: April 2020

सभी के अन्दर एक बेचैनी थी. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. अगले कुछ दिनों में जामिया के कुछ बच्चों की गिरफ़्तारी भी शुरू हो गई. पकड़े गए आरोपियों को मीडिया के सामने पेश किया गया. पर उनके चेहरे को काले कपड़े की जगह (जैसा आमतौर से होता है) लाल रंग के अरबी रुमाल से ढ़का गया था. जिससे आसानी से आरोपियों के धर्म का पता लगाया जा सके. …
मौलवी साहब मैं वही बे-हया औरत हूं। जो फैक्ट्री और अस्पताल में काम करती है,और जब आप को दिल का दौरा पड़ा था तो नर्स के बे-शर्म लिबास में मैंने ही आप की तीमारदारी की थी। जिस आरामदेह गाड़ी में एयर कंडीशन लगाकर आप घूमते हैं और जिस हवाई जहाज में बैठकर आप मक्का मदीने जाते हैं। …
औरत की कोख से निकले, हूरों के पसतान(1) नापते मौलवी …
कुफू का शाब्दिक अर्थ बराबर, मिस्ल, हमपल्ला और जोड़ होता है। इस्लामिक विद्वानों (उलेमा) द्वारा ये शब्द सामान्यतः शादी-विवाह (वर-वधू) के सम्बन्ध में प्रयोग किया जाता है, अर्थात जब ये कहा जाता है कि फला फला का कुफू है तो अर्थ ये होता है कि फला फला आपस मे बराबर है और एक दूसरे से शादी हो सकती है। कुफू निर्धारण के आधार में इस्लामिक विद्वानों में कुछ मतभेद भी है। …
कुछ लोग बड़े दावे से कहते है कि भारतीय मुसलमानों में व्याप्त ज़ात-पात/ ऊँच-नीच की बीमारी दूसरे शब्दों में किसी को हसब-नसब (वंश) की बिनाह पर आला (श्रेष्ठ), अदना (नीच/छोटा) समझने की विचारधारा की वजह भारतीय समाज की परम्पराएं है जो तथाकथित हिन्दू धर्म में मौजूद थी इस दावे के करने वालो का कहना है कि लोग मज़हबे-इस्लाम में दाखिल तो हुए मगर अपनी परम्पराओं (वर्ण व्यवस्था/जन्म आधारित ऊँच-नीच/ छूआ-छूत) के साथ दाखिल हुए जिससे …
उर्दू मुख्यतः अशराफ की भाषा रही है। जिसे वो अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए पूरे मुसलमानों की भाषा बना कर प्रस्तुत करता है, जबकि पसमांदा की भाषा क्षेत्र विशेष की अपभ्रंश भाषाएं एवं बोलियाँ रही हैं। अशराफ अपनी इस नीति में कामयाब भी रहा है और आज भी पसमांदा की एक बड़ी आबादी उर्दू से अनभिज्ञ होने के बाद भी उर्दू को ही अपने क़ौम की भाषा मानती है. …
हमारी अशराफिया मुस्लिम कयादत एड़ी चोटी का जोर लगा कर इस घटिया व्यवस्था को इस्लाम धर्म का “essentiality test” के नाम पे बचा के रखना चाहती है. तो ये सवाल उठता है की वो ऐसा क्यों चाहती है? दरसल ये अशराफिया मुस्लिम कयादत हर उस बदलाव के खिलाफ है जिससे इनकी सत्ता कमज़ोर पड़ने का खतरा होता. …

'होटल रवांडा' फ़िल्म इसी रेडियों की आवाज़ से शुरू होती है। रेडियों हुतू समुदाय की भावनाओं को भड़काने के लिए झूठा प्रोपोगेंडा चलाते हैं। उनसे कहा जाता है कि तुत्सी राजतन्त्र कायम करने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें हुतू लोगों को गुलाम बनाकर रखा जाएगा। इन रेडियों स्टेशनों ने हुतू और तुत्सी समुदाय के बीच किसी भी बातचीत या शांति समझौते का खुलकर विरोध किया, शांति के प्रयासों के खिलाफ अभियान चलाया, हुतू मिलिशिया …
आर्थिक नरमी एक सामान्य प्रोसेस है। कोरोना के कहर से पूर्व समूचे विश्व मे यही हो रहा था। वायरस ने विश्व को रोक दिया है। कारखाने बन्द हैं, ट्रैन बन्द हैं, जहाज, पानी के जहाज, होटल-ढाबे, सिनेमा घर, स्कूल-कॉलेज हर जगह मुर्दाघर जैसी शांति है। ऐसे में ये समझना बहुत आसान है कि कुछ हो नही रहा तो वृद्धि नही होगी। ऐसे में वृद्धि दर नकारात्मक होगी। …
अक्सर पसमांदा अन्दोलन और उससे जुड़े लोगों पर यह आरोप लगाया जाता है कि पसमांदा अपने दमनकारी/उत्पीड़क अशराफ की आलोचना करने में बहुत ही अभद्र और कड़वी भाषा का इस्तेमाल करता है, जो गुफ्तगू के आदाब (वार्तालाप के शिष्टाचार) के खिलाफ है और सभ्यता और शालीनता की दृष्टी से उचित नहीं है। …
हम ‘वॉचमैन’ (Watchmen) की कहानी पर आते है. यहाँ सबसे पहले इस बात को समझ लें कि "समानांतर ब्रह्माण्ड" के सिद्धांत की खोज हो चुकी है. अब मानव जाति इस बात से अवगत है कि हर संभावना का अपना एक भविष्य होता है और हर सम्भावना अलग-अलग ब्रह्माण्ड में घटित होती हैं. …
हम ये पाते हैं कि पसमांदा पहचान और पसमांदा समस्या को उर्दू अदब में एक सिरे से नकारा गया है. जब कार्ल मार्क्स की किताब छपी 'The Eighteenth Brumaire of Louis Bonaparte', तो किसी ने उसकी समीक्षा नहीं लिखी. इसपे एंगल्स ने कहाँ कि ये killing by silence है अर्थात आप चुप रह कर किसी की पहचान या उसकी समस्या को नकार दो. इसी प्रकार पसमांदा समाज की दैनिक समस्याओं का उर्दू अदब में कहीं …
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