अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ज़ात-पात का अत्यधिक ज़ोर एवं चलन है, इस की रोकथाम के लिए आरम्भ से ले कर अब तक कोई क़दम नहीं उठाया गया है जब कि इस की तुलना में जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, जो कम्युनिज्म (दहरियत) का गढ़ है, में ज़ात-पात के विरुद्ध SC/ST सेल है. यदि कोई किसी को कम ज़ात या उस की जाति के नाम को घटिया तरीक़े के साथ पुकारे तो शोषित व्यक्ति उस सेल में जा …
Month: October 2020

सर सैयद को लेकर कई झूठ गढ़े गए हैं। जैसे- सर सैयद की वजह से मुसलामनों में आधुनिक शिक्षा आई। सब से पहले उन्होंने अंग्रेजी भाषा पढ़ाने की बात की। अंग्रेज़ी पढ़ाने की वजह उन पर कुफ़्र का फ़तवा आया। यह सच है कि हम को आज तक यही पढ़ाया गया है कि सर सैयद ने मुसलामनों के अंदर आधुनिक शिक्षा का प्रसार किया जिस की वजह से मुसलमान सरकारी नौकरी में आ सके पर …

इस लेख को लिखने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सर सैयद अहमद ख़ाँ साहब को लेकर भारतीय समाज विशेषकर मुस्लिम समाज में बड़ी ही गलत मान्यता स्थापित है. उन्हें मुस्लिम क़ौम का हमदर्द और न जाने किन-किन अलकाबो से नवाजा गया है जबकि जहाँ तक मैंने जाना है हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिखी. सर सैयद को जितना मैंने पढ़ा है उस बुनियाद पर अगर उनकी शख्सियत के लिए कोई एक लफ्ज़ मैं इस्तेमाल करूंगा तो …

1947 ई० का बटवारा एक ऐसी त्रासदी थी जिसकी भारी कीमत सिर्फ यहाँ के मेहनतकश(महनत करके रोज़ी रोटी कमाने वाले) वर्गों को ही चुकाना पड़ा। काँग्रेस गुप्त रूप से भारत विभाजन को स्वीकार करने का समझौता कर चुकी थी। अशराफ मुस्लिम को पश्चिमी और पूरबी राज्यो की सूरत में सत्ता भोग का परवान मिलने जा रहा था। हिन्दूओ के सत्ताधारी वर्ग(सवर्ण) को एक बड़े अल्पसंख्यक से जान छूटने की नवेद( विवाह में दिया जाने वाला …
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