हम ये पाते हैं कि पसमांदा पहचान और पसमांदा समस्या को उर्दू अदब में एक सिरे से नकारा गया है. जब कार्ल मार्क्स की किताब छपी 'The Eighteenth Brumaire of Louis Bonaparte', तो किसी ने उसकी समीक्षा नहीं लिखी. इसपे एंगल्स ने कहाँ कि ये killing by silence है अर्थात आप चुप रह कर किसी की पहचान या उसकी समस्या को नकार दो. इसी प्रकार पसमांदा समाज की दैनिक समस्याओं का उर्दू अदब में कहीं …
Author: Jay Prakash Faqir
Jay Prakash Faqir
मैं केंद्रीय सरकार में कार्यरत हूं. बहुजन दृष्टिकोण से मेरे बहुत से आलेख, कहानियां (उर्दू, हिंदी, अग्रेज़ी), कवितायेँ, साहित्यक आलोचना छप चुके हैं.
जाति के विषय पर इस्लाम, हिन्दू धर्म से काफ़ी अलग है. इस्लाम में हिन्दू धर्म की तरह जाति को सैद्धांतिक मान्यता नहीं दी गई है इसलिए मेरी अपील पसमांदा युवाओं के लिए ये है कि वो समस्याओं की सरलता में न जाएं बल्कि उसकी जटिलता का अध्यन करें. उन्हें हिन्दू धर्म और मुस्लिम समाज में जाति के भेद को समझाना होगा. …
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