"महिलाओं और लड़कियों की व्यवस्थित तरीक़े से हत्या करना, प्रजनन आयु की लड़कियों और महिलाओं को चुनकर उनका बलात्कार करना, गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर हमले करना, उनके प्रजनन अंग को भंग करना और उन्हें ज़ख़्मी बनाना, उनके गालों, गर्दनों, छातियों और जांघों पर जबड़ो से काटने के निशान बनाना, महिलाओं और लड़कियों को इस तरह गंभीर रूप से घायल कर देने कि वो अपने पतियों के साथ यौन संबंध बनाने या गर्भ धारण करने …
Category: Democracy
Articles and posts by budding authors highlighting the tenets of Indian Constitution. A voice for the oppressed sections of society and a challenge to the power mongers.

While Islamic scriptures like the Quran and Hadith are often quoted to negate the existence of social stratification among Muslims, authors of genealogical texts rely on the very same scriptures to foreground and legitimise discussions on descent and lineage. In the South Asian context, several conceptions of hierarchy as practised by Muslims in north India evolved over the course of colonial rule and were deployed interchangeably by Sayyids. These were based on notions of race, …

लाल बहादुर वर्मा लिखते हैं ,आतंक से आतंकवाद का सफर लम्बा है. आदिकाल से मनुष्य आतंकित होता आ रहा है और आतंकित करता आ रहा है. मनुष्यों ने अपनी सत्ता को लेकर जो भी संस्था बनाई उसमे अक्सर आतंक को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया. धर्म में ईश्वर का आतंक, परिवार में पितृसत्ता का आतंक, राज्य में सर्वभौमिक्ता का आतंक अर्थात सेना, पुलिस का आतंक'. बहरहाल हम यहाँ जिस आतंक की बात कर …

सर सैयद को लेकर कई झूठ गढ़े गए हैं। जैसे- सर सैयद की वजह से मुसलामनों में आधुनिक शिक्षा आई। सब से पहले उन्होंने अंग्रेजी भाषा पढ़ाने की बात की। अंग्रेज़ी पढ़ाने की वजह उन पर कुफ़्र का फ़तवा आया। यह सच है कि हम को आज तक यही पढ़ाया गया है कि सर सैयद ने मुसलामनों के अंदर आधुनिक शिक्षा का प्रसार किया जिस की वजह से मुसलमान सरकारी नौकरी में आ सके पर …

1947 ई० का बटवारा एक ऐसी त्रासदी थी जिसकी भारी कीमत सिर्फ यहाँ के मेहनतकश(महनत करके रोज़ी रोटी कमाने वाले) वर्गों को ही चुकाना पड़ा। काँग्रेस गुप्त रूप से भारत विभाजन को स्वीकार करने का समझौता कर चुकी थी। अशराफ मुस्लिम को पश्चिमी और पूरबी राज्यो की सूरत में सत्ता भोग का परवान मिलने जा रहा था। हिन्दूओ के सत्ताधारी वर्ग(सवर्ण) को एक बड़े अल्पसंख्यक से जान छूटने की नवेद( विवाह में दिया जाने वाला …
पसमांदा विमर्श ने जम्हूरियत के सवाल को मुस्लिम राजनीति का केन्द्रीय प्रश्न बना दिया है और अम्बेडकर की तर्ज़ पर यह ऐलान कर दिया है कि मुसलमानों के अंदर भी जाति का सवाल केवल सामाजिक सुधार के सहारे नहीं बल्कि राजनीतिक आंदोलन के ज़रिये भी हल होगा। पसमांदा का नामकरण हो चुका है और अब यह आंदोलन तेज़ी से फैल रहा है …
यह 11 जून 2017 को पटना (बिहार) में बागडोर और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित एक-दिवसीय कांफ्रेंस ‘बहुजन चौपाल: भारत का भगवाकरण और सामाजिक न्याय की चुनौतियाँ’ में प्रो. खालिद अनीस अंसारी के वक्तव्य की संशोधित प्रतिलिपि है. …

In the midst of India China border dispute a new Pasmanda figure has emerged out in a central position, the spotlighted Galwan valley is named after him. The story is as, once an explorer was entrapped in the Leh region and there seemed to be no way out, in this situation the fourteen year old boy helped the explorer out through a river. The explorer was amazed and influenced by the sense of bravery shown …

संविधान निर्माताओं को शायद इस बात का खूब आभास था कि कुछ लोग भारत को हिन्दुस्तान (हिन्दुओं का स्थान) बनाना चाहते है, सम्भवतः इसीलिए संविधान निर्माताओं ने पूरे संविधान (जो कि अंग्रेज़ी में लिखा गया है) में किसी भी शब्द के स्पष्टीकरण अथवा अनुवाद की आवश्यकता महसूस नहीं की लेकिन जब संविधान में देश का नाम लिखना हुआ तो मात्र “इण्डिया” लिखकर उनको सन्तोष नहीं हुआ क्योंकि उनके सामने इण्डिया को हिन्दुस्तान बनाने की नापाक …

अशराफ अक्सर पसमांदा आंदोलन पर मुस्लिम समाज को बांटने का आरोप लगाकर पसमंदा आंदोलन को कमज़ोर करने की कोशिश करता है। जिसके भ्रम में अक्सर पसमांदा आ भी जाते हैं। जबकि पसमांदा आंदोलन वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने की चेष्टा, सामाजिक न्याय का संघर्ष, हक़ अधिकार की प्राप्ती का प्रयत्न है। जिसका किसी भी धर्म से कोई सीधा टकराव नही है। इतिहास साक्षी है कि अशराफ, हमेशा से धर्म का इस्तेमाल अपनी सत्ता और …

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने स्थापना से लेकर आजतक ये दावा करता आया है कि वह इस देश में बसने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक समाज की एक अकेली प्रतिनिधि संस्था है, जो उनके व्यक्तिगत एवम् सामाजिक मूल्यों को, जो इस्लामी शरीयत कानून द्वारा निर्धारित किये गए हैं, देखने भालने का कार्य सम्पादित करती है। इसके अतिरिक्त बोर्ड मुस्लिमो की तरफ से देश के वाह्य एवम् आतंरिक मामलो में ना सिर्फ अपनी राय रखता है बल्कि …

आज बहुत दुर्भाग्य की बात है कि हम सब अपने ही देश में अपने ही लोगों के द्वारा देश के संविधान को जलाये जाने और उस पर फैले सन्नाटे और ख़ामोशी से गुज़र रहें हैं। याद रखें, हम सब तभी हैं जब यह राष्ट्र है और यह राष्ट्र तभी है जब संविधान है। किसी भी देश और उस के नागरिकों के जीवित होने का सबूत उस देश का संविधान होता है। संविधान पर किसी भी …

Inspite of all these facts , if a person chooses to support conversion, he must not baby cry on Babri or Cordoba Mosque. In response to what Erdogan said , "Those who remain silent when Masjid Al Aqsa is attacked, trampled, its windows smashed, cannot tell us what to do about the status of Hagia Sofia" - Firstly that Our morality or course of actions is not dependent on what others have or do. A …
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