अक्सर सुन्नत और हदीस दोनों शब्दों को पर्यायवाची या एक ही चीज़ समझा जाता है, लेकिन दोनों की प्रामाणिकता प्रमाणिकता (सच्चाई) और विषय-वस्तु (मौज़ू) में बहुत अंतर है। रसूलुल्लाह (स.अ.व.) के कथन (क़ौल), कार्य (फ़ेअल) और स्वीकृति एवं पुष्टि (इजाज़त और तस्दीक़) की रिवायतों (लिखित परंपरा) या ख़बरों को इस्लामी परिभाषा में ‘हदीस’ कहा जाता है। यह हदीसें इस्लाम के असल दो स्रोत (माखज़) यानी क़ुरआन और सुन्नत से मिलने वाले दीन में कुछ घटाती …
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