इस लेख को लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि पसमांदा आन्दोलन से सम्बन्धित व्यक्तियों, पसमांदा संगठनो के पदाधिकारियों तथा समर्थकों द्वारा इबलीसवाद, इबलीसवादी तथा इबलीसी जैसे शब्दों का प्रयोग अक्सर अपने लेखों, भाषणों, फेसबुक, व्हाट्सअप जैसी सोशल साइटों पर अपनी पोस्टों तथा बहस के दौरान अपनी टिप्पणियों में किया जाता है जिसमें वह सैयदवाद (तथाकथित सैयदवाद) को ही इबलीसवाद कहते है तथा सैयदवाद के समर्थकों को इबलीसीवादी व इबलीसी कहते है। जिसका तथाकथित सैयद …
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