जब मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने पूछा कि क्या आप ने ख़िलाफ़त आंदोलन, जमियत-उल-उलेमा, मजलिस-ए-अहरार और मुस्लिम लीग जैसे अन्य दूसरे संगठनों से आवेदन पत्र लिया था? अगर हाँ तो वह आवेदन पत्र दिखलायें। उस सवाल पर नवाब साहब आंय-बांय करने लगे। फिर भी मौलाना के बहुत असरार पर नवाब साहब ने इन पसमांदा संगठनों (जमियत-उल-मोमिनीन और जमियत-उल-क़ुरैश) को मुस्लिम कॉन्फ्रेंस में शामिल करने या ना करने के फ़ैसले को एक सब-कमेटी गठित करके …
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