मौलना, शादी-विवाह के मामले में इस्लाम की अशराफ व्याख्या करते हुए जातीय बन्धन को इस्लाम बता रहे हैं,(इस्लाम की पसमांदा व्याख्या के अनुसार इस्लाम में शादी के लिए कोई जातीय बन्धन नही है) यहाँ यह बात भी स्पष्ट समझ में आती है कि अशराफ जातियों के ऊँच-नीच को मान्यता तो देते है लेकिन शादी विवाह को वर्जित नही माना है। वहीं पसमांदा जातियों में सीढीं-दार जातिवाद की मान्यता दिया है। स्पष्ट हो रहा है कि …
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