जब सरकार चुनाव सिर्फ इसलिए कराए ताकि ये दिखा सके कि किसी क्षेत्र विशेष पर अब उसका अधिकार है तब ऐसे में मन में एक सवाल उभरता है कि लोकतंत्र क्या है फिर ? क्या चुनाव , मंत्री , विधायिका , संसद ही लोकतंत्र है या स्वतंत्रता , समानता , न्याय , गरिमा , विरोध/असहमति का अधिकार जैसे आदर्श लोकतंत्र है . इसी बात की पड़ताल करती हुई फिल्म है “न्यूटन” जो इस बात को …
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