पसमांदा शब्द का इस्तेमाल ओबीसी लिस्ट में शामिल ‘दलित’ और ‘पिछड़े’ मुसलमानों के लिए 1998 से हो रहा है. पिछले कुछ सालों से इस में ‘आदिवासी’ मुसलमानों को भी शामिल कर लिया गया है. यानि पसमांदा केटेगरी में दलित, आदिवासी और पिछड़े मुस्लमान तीनों आते हैं उसी तरह जैसे बहुजन केटेगरी में तथाकथित हिन्दुओं के अन्दर दलित, पिछड़े, आदिवासी आते हैं. यानि अब पसमांदा शब्द बहुजन का समानांतर शब्द है, ओबीसी का नहीं. …
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इस लेख को लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि पसमांदा आन्दोलन से सम्बन्धित व्यक्तियों, पसमांदा संगठनो के पदाधिकारियों तथा समर्थकों द्वारा इबलीसवाद, इबलीसवादी तथा इबलीसी जैसे शब्दों का प्रयोग अक्सर अपने लेखों, भाषणों, फेसबुक, व्हाट्सअप जैसी सोशल साइटों पर अपनी पोस्टों तथा बहस के दौरान अपनी टिप्पणियों में किया जाता है जिसमें वह सैयदवाद (तथाकथित सैयदवाद) को ही इबलीसवाद कहते है तथा सैयदवाद के समर्थकों को इबलीसीवादी व इबलीसी कहते है। जिसका तथाकथित सैयद …

The purpose of this article is to tell the world, for once and all, that my introduction to the caste system among Muslims is not because of JNU. The silencing, exclusion and discrimination practised against the lower caste for centuries were not taught to me by any scholar of modern English education system. Mohammad Hashim, my abbaji (paternal grandfather), an Islamic scholar, was the person who introduced me to this dark reality where my whole …

మౌలానా అలీ హుస్సేన్ "ఆసిమ్ బిహారీ" ఏప్రిల్ 15, 1890 న బీహార్ లోని నలంద జిల్లా, బీహార్ షరీఫ్ లోని మొహల్లా ఖాస్ గంజ్ లో ముస్లిం పేద పసమంద చేనేత కార్మికుల కుటుంబంలో జన్మించాడు. 1906 లో, 16 సంవత్సరాల వయస్సులో, కోల్కతాలోని ఉషా సంస్థలో తన వృత్తిని ప్రారంభించాడు. పని చేస్తున్నప్పుడు, అతను చదువులలో మరియు పుస్తకాలు చదవడంలో ఆసక్తిని కొనసాగించాడు. అతను అనేక రకాల కదలికలలో చురుకుగా ఉండేవాడు. తను చేసే ఉద్యోగం నిర్భాధానలతో కూడినవంటిది, ఆ విద్యోగానిని విడిచి, తన జీవనోపాధి కోసం అతను బీడీలు తయారుచేసే పనిని ప్రారంభించాడు. అతను బీడీ వర్కర్ సహోద్యోగుల బృందాన్ని తయారు …

पसमांदा मूल रूप से फ़ारसी भाषा का शब्द है। यह 'पस' और 'मांदा' नामक दो शब्दों से मिल कर बना है। पस का अर्थ होता है पीछे और मांदा का अर्थ होता है छूटा हुआ अर्थात पीछे छूटा हुआ। आम इस्तेलाह (बोल चाल की भाषा) में पसमांदा शब्द उन (वर्गों/जातियों) के लिए प्रयोग किया जाता है जो तरक़्क़ी की दौड़ में पीछे छूट गए हैं। हालांकि पसमांदा शब्द का सम्बन्ध किसी विशेष धार्मिक समूह के …

मुस्लिम आरक्षण की माँग का उद्देश्य मुस्लिम हित नहीं बल्कि यह माँग अपनी (अशराफ़) लीडरशिप को क़ायम रखने व पसमांदा मुसलमानों को (आरक्षण के द्वारा) मिल रहे संवैधानिक लाभों से वंचित कर ख़ुद उस को प्राप्त करने का बेहतरीन हथियार/ज़रिया मात्र है क्योंकि तथाकथित मुस्लिम लीडरशिप (दरअसल अशराफ़ लीडरशिप) पसमांदा समाज में फैल रही जागरूकता व उन में उभर रही लीडरशिप की योग्यता में अपनी चौधराहट (एकछत्र राज) लिए ख़तरा महसूस कर रही है, जो …

यह कहा जा सकता है कि इस्लाम दो तरह का है एक अशराफ का इस्लाम और दूसरा पसमांदा का इस्लाम। पसमांदा ऊंच नीच रहित मुहम्मद के सैद्धान्तिक इस्लाम की वकालत करता है वहीं अशराफ अपने द्वारा व्याखित इस्लाम को ही इस्लाम मानता है और उसे ही पसमांदा पर लादे हुए है। और विडम्बना यह है कि अशराफ का इस्लाम ही समाज में मान्य और प्रचलित है। …
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