29 मई 1453 को मोहम्मद फ़ातेह क़ुस्तुनतुनिया (अब इस्तांबुल) फ़तह करता है, शहर में मुसलमान क़त्ल-ए-आम शुरू कर देते हैं। उसी रोज़ सुल्तान आया सोफ़िया में दाख़िल होता है, अज़ान दी जाती है और ज़ोहर की नमाज़ बाजमाअत अदा की जाती है। वह मंगल का दिन था (सन्दर्भ: दौलत-ए-उस्मानिया-डॉक्टर अज़ीज़ अहमद, दार-उल-मुसन्निफ़ीन-आज़मगढ़, एडिशन 2009, प्रशंसा एवं सत्यापन: मौलाना सय्यद सुलेमान नदवी, पेज नम्बर-102) ठीक उसी वक़्त जब शहर में क़त्ल-ए-आम हो रहा हो और उसी …
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