Category: Education and Empowerment

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ज़ातत-पात (जातिवाद) की जड़ें

मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) पिछड़ी बिरादरियों को शिक्षा का अधिकार दिए जाने कि बात दूर की है. धार्मिक दृष्टिकोण से सभी मुसलमानों को बराबर नहीं समझा गया. इस का एक उदाहरण मौलाना अशरफ़ अली थानवी (र०अ०) की किताब ‘अशरफ़-उल-जवाब’ में मिलता है. उस के अन्दर है कि-

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मुस्लिम आरक्षण का आधा-अधूरा सच

कुछ बहुजन सोशल मीडिया दलालों द्वारा एक और अर्ध-सत्य फैलाया जा रहा है, इन मीडिया दलालों की हाल ही में हिंदू राइट के प्रति सहानुभूति है, वह कह रहे हैं कि मुस्लिम पहले से ही चार प्रकार की आरक्षण सुविधा प्राप्त कर रहे हैं – OBC वर्ग में पिछड़े मुस्लिम, ST वर्ग में आदिवासी मुस्लिम, EWS वर्ग में ऊपरी जाति (अशराफ़) मुस्लिम, और सरकार द्वारा अनुदानित मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों – और इसलिए दलित मुस्लिम (या ईसाई) को एससी वर्ग में शामिल करना गलत है।

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हर सवाल का सवाल ही जवाब हो

अशराफ अक्सर पसमांदा आंदोलन पर मुस्लिम समाज को बांटने का आरोप लगाकर पसमंदा आंदोलन को कमज़ोर करने की कोशिश करता है। जिसके भ्रम में अक्सर पसमांदा आ भी जाते हैं। जबकि पसमांदा आंदोलन वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने की चेष्टा, सामाजिक न्याय का संघर्ष, हक़ अधिकार की प्राप्ती का प्रयत्न है। जिसका किसी भी धर्म से कोई सीधा टकराव नही है। इतिहास साक्षी है कि अशराफ, हमेशा से धर्म का इस्तेमाल अपनी सत्ता और वर्चस्व के लिए करता आ रहा है, और इसमें सफल भी रहा है। अतः उसके लिए यह आरोप लगाना बहुत आसान है। पसमांदा की तरक़्क़ी में सबसे बड़ी बाधा अशराफ ही बना हुआ है जो पसमांदा को धार्मिक और भावनात्मक बातो में उलझा कर उसको उसकी असल समस्यों, रोज़ी रोटी, समाजी बराबरी और सत्ता में हिस्सेदारी से दूर रखते हुए स्वयं को सत्ता के निकट रखना सुनिश्चित किये हुए है। इसलिए पसमांदा को इस धोखे से बाहर निकल कर सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में अशराफ के विरुद्ध कमर कसकर खड़ा होना होगा।

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