Category: Pasmanda Caste
मक्का चार्टर: इस्लाम की असली सोच की ओर वापसी...
Posted by Arif Aziz | Oct 22, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
आधुनिक शिक्षा के नाम पर भेदभाव? सर सैयद पर बड़ा सव...
Posted by Arif Aziz | Oct 20, 2025 | Education and Empowerment, Pasmanda Caste | 0 |
Beyond the Banner: Understanding the “I Love...
Posted by Arif Aziz | Oct 4, 2025 | Education and Empowerment, Political | 0 |
कौन थे श्री नियामतुल्लाह अंसारी और क्या था रज़ालत ...
Posted by Arif Aziz | Sep 30, 2025 | Biography, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
गाजा शांति प्रस्ताव: न्याय, पुनर्निर्माण और अस्थिर भविष्य
by Arif Aziz | Oct 28, 2025 | Culture and Heritage, Political | 0 |
लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर गाजा में युद्धविराम की घोषणा केवल बंदूकों की गूंज का शांत होना नहीं है। यह...
Read Moreमक्का चार्टर: इस्लाम की असली सोच की ओर वापसी
by Arif Aziz | Oct 22, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
मक्का चार्टर (2019) इस्लाम के मूल पैगाम—शांति, बराबरी और सह-अस्तित्व—की पुनःस्थापना है, न कि कोई नया सुधार। यह पैगंबर मुहम्मद के मदीना संविधान से प्रेरित है, जिसने विभिन्न धर्मों और कबीलों को ‘उम्मा’ के रूप में एकजुट किया। 139 देशों के 1200 से अधिक विद्वानों द्वारा स्वीकृत इस चार्टर ने धार्मिक स्वतंत्रता, समान नागरिकता, अतिवाद का विरोध, महिलाओं और युवाओं के सशक्तीकरण, और पर्यावरण की रक्षा पर ज़ोर दिया। यह कुरान व इस्लामी शिक्षाओं पर आधारित एक नैतिक संविधान है जो मुस्लिम दुनिया को एकजुट कर मानवाधिकार, न्याय और दया के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में पुनःप्रस्तुत करता है।
Read Moreआधुनिक शिक्षा के नाम पर भेदभाव? सर सैयद पर बड़ा सवाल!
by Arif Aziz | Oct 20, 2025 | Education and Empowerment, Pasmanda Caste | 0 |
अब्दुल्ला मंसूर ज्यादातर हम समझते हैं कि मौलवी या उलेमा ही धार्मिक उपदेश के जरिए मतिभ्रम फैलाते...
Read MoreBeyond the Banner: Understanding the “I Love Muhammad”
by Arif Aziz | Oct 4, 2025 | Education and Empowerment, Political | 0 |
~ Dr. Uzma Khatoon In September 2025 during the Barawafat (Eid-e-Milad-un-Nabi), a simple...
Read Moreसऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता और भारत का संतुलनकारी रास्ता
पश्चिम एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य हाल में बड़े बदलाव से गुज़रा है। पहले जहां अरब देशों का सुरक्षा फोकस ईरान पर था, अब इज़राइल की आक्रामक नीतियाँ और गाज़ा संघर्ष चिंता का केंद्र बन गई हैं। दोहा पर इज़राइली हमले और अमेरिकी निष्क्रियता ने खाड़ी देशों को अमेरिका पर अविश्वास की ओर धकेला। इसी पृष्ठभूमि में सऊदी अरब–पाकिस्तान सामरिक रक्षा समझौता (SMDA) हुआ, जिससे पाकिस्तान को आर्थिक-सैन्य सहयोग और सऊदी को सुरक्षा विकल्प मिला। भारत के लिए यह चुनौती और अवसर दोनों है। फिलिस्तीन पर भारत का समर्थन उसे अरब देशों में नैतिक व रणनीतिक बढ़त दिला रहा है।
Read Moreकौन थे श्री नियामतुल्लाह अंसारी और क्या था रज़ालत टैक्स?
by Arif Aziz | Sep 30, 2025 | Biography, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
श्री नियामतुल्लाह अंसारी (1903–1970) स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के योद्धा थे। गोरखपुर में जन्मे, उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़कर आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। वे कांग्रेस और मोमिन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति का विरोध करते रहे। उनका सबसे बड़ा योगदान “रज़ालत टैक्स” के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई थी, जो पसमांदा मुसलमानों पर थोपे गए अपमानजनक कर का अंत कर गई। 1939 में अदालत ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फ़ैसला दिया। अंसारी ने दबे-कुचले समाज को सम्मान दिलाया और समानता की मशाल जलाकर सामाजिक क्रांति की राह प्रशस्त की।
Read Moreयहूदी समाज की तरक्की और हमारी पसमांदगी का सबब
by Arif Aziz | Aug 19, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Political, Social Justice and Activism | 0 |
यहूदी समाज ने सदियों तक सताए जाने के बावजूद शिक्षा, तर्क और वैज्ञानिक सोच को अपनाकर खुद को आगे बढ़ाया, जबकि मुस्लिम समाज धीरे-धीरे किस्मत और तक़दीर पर भरोसा, धार्मिक तंगदिली और वैज्ञानिक जिज्ञासा से दूरी के कारण पिछड़ गया। यहूदियों ने किताबें और रिसर्च को हथियार बनाया, जबकि मुस्लिम समाज ने सवालों को “फितना” मानकर दबाया। पसमांदा मुसलमानों के लिए यह लेख एक आईना है—सिर्फ नारे नहीं, बल्कि शिक्षा, विकल्प और बराबरी की लड़ाई ही असली रास्ता है।
Read Moreकर्बला की विरासत: शियाओं ने अपनी पहचान कैसे बनाई?
by Arif Aziz | Jul 29, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Political | 0 |
डॉ. उज्मा खातून कर्बला की जंग का अंत सिर्फ एक दुखद घटना नहीं था, बल्कि इस्लामी इतिहास का एक गहरा,...
Read Moreईरान का परमाणु संकट और मध्य-पूर्व का भविष्य
by Arif Aziz | Jul 24, 2025 | Culture and Heritage, Miscellaneous, Political | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर हाल ही में अमेरिका और इज़रायल ने ईरान की परमाणु संवर्धन स्थलों—फोर्डो, नतान्ज़...
Read Moreसवर्ण केंद्रित नारीवाद बनाम बहुजन न्याय का स्त्री विमर्श
by Arif Aziz | Jul 8, 2025 | Casteism, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
भारतीय नारीवाद में अक्सर सवर्ण, शहरी महिलाओं की आवाज़ हावी रहती है, जबकि दलित, आदिवासी और पसमांदा औरतों की हकीकतें हाशिए पर धकेल दी जाती हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास *‘कुठाँव’* मुस्लिम समाज में जाति, वर्ग और लिंग आधारित भेदभाव को उजागर करता है। बहुजन स्त्रियाँ नारीवाद को अपनी ज़मीनी ज़रूरतों—इज़्ज़त, शिक्षा, सुरक्षा और अस्तित्व—के संघर्ष से परिभाषित करती हैं। पायल तडवी की आत्महत्या जैसी घटनाएँ इस असमानता को उजागर करती हैं। लेख समावेशी और न्यायसंगत स्त्री विमर्श की वकालत करता है, जो हर महिला की पहचान, अनुभव और संघर्ष को जगह देता है—सिर्फ़ “चॉइस” नहीं, “इंसाफ़” की लड़ाई के साथ।
Read Moreबिहार से भारत तक: अब्दुल क़य्यूम अंसारी को भारत रत्न देने का समय
by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
शहनवाज़ अहमद अंसारी उन्होंने बंटवारे का विरोध सत्ता के लिए नहीं, सिद्धांतों के लिए किया।उन्होंने...
Read Moreहॉलीवुड, पश्चिमी मीडिया और ईरान: छवि निर्माण की राजनीति
by Abdullah Mansoor | Jun 21, 2025 | Movie Review, Poetry and literature, Political, Reviews | 0 |
**100 शब्दों में सारांश (हिंदी में):**
आज की दुनिया में युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि छवियों, फिल्मों और मीडिया के ज़रिए भी लड़े जाते हैं। हॉलीवुड और पश्चिमी मीडिया ने एक वैचारिक “छवि युद्ध” छेड़ा है, जिसमें ईरान जैसे देशों को खलनायक, पिछड़ा और असहिष्णु दिखाया जाता है। *Argo*, *Homeland* जैसी फ़िल्में इस छवि को मज़बूत करती हैं। यह सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि अमेरिकी सॉफ्ट पावर और वैश्विक जनमत निर्माण की रणनीति है। एडवर्ड सईद के “ओरिएंटलिज़्म” सिद्धांत के अनुसार, पश्चिम अक्सर पूर्व को नीचा दिखाता है। इसलिए जरूरी है कि दर्शक फिल्मों और मीडिया को आलोचनात्मक नजरिए से देखें और सच व प्रचार में फर्क करना सीखें।
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