Category: Social Justice and Activism
Pahalgam Incident: A Challenge to the Fabric of Ha...
Posted by Arif Aziz | May 13, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
पहलगाम का हमला: भारतीय मुसलमानों का आतंक को करारा ...
Posted by Arif Aziz | May 5, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
कश्मीर में आतंकवाद के पीछे छिपे सवाल...
Posted by Abdullah Mansoor | Apr 24, 2025 | Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Political, Social Justice and Activism | 0 |
पितृसत्ता और मर्द: मर्दानगी का बोझ, एक अनकही कैद...
Posted by Arif Aziz | Apr 19, 2025 | Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Social Justice and Activism | 0 |
धर्म: शोषण का औज़ार या मुक्ति का माध्यम?...
Posted by Abdullah Mansoor | Feb 16, 2025 | Culture and Heritage, Social Justice and Activism | 0 |
भारत और बुद्ध: एक आत्मा, एक दर्शन
by Abdullah Mansoor | May 16, 2025 | Biography, Casteism, Culture and Heritage | 0 |
लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर जब सीमा पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हों, तब भी भारत के आंगन में बुद्ध...
Read MorePahalgam Incident: A Challenge to the Fabric of Harmony and Peace in the Country
by Arif Aziz | May 13, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
~Dr. Uzma Khatoon The terrorist attack in Pahalgam, Jammu and Kashmir, on April 22, 2025, which...
Read Moreपहलगाम का हमला: भारतीय मुसलमानों का आतंक को करारा जवाब
by Arif Aziz | May 5, 2025 | Culture and Heritage, Political, Social Justice and Activism | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर कश्मीर के पहलगाम इलाके में हाल ही में जो आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 मासूम लोगों,...
Read Moreकश्मीर में आतंकवाद के पीछे छिपे सवाल
by Abdullah Mansoor | Apr 24, 2025 | Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Political, Social Justice and Activism | 0 |
लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला पूरे देश को झकझोर देने वाला...
Read Moreपितृसत्ता और मर्द: मर्दानगी का बोझ, एक अनकही कैद
by Arif Aziz | Apr 19, 2025 | Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Social Justice and Activism | 0 |
लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर हमारे समाज में बहुत पुरानी एक सोच चली आ रही है, जिसमें मर्दों को औरतों से...
Read MoreZakat: A Pillar of Faith and Social Justice
by Abdullah Mansoor | Mar 22, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Social Justice and Activism | 0 |
Zakat, a key pillar of Islam, combines spiritual purification with social justice by mandating Muslims to donate 2.5% of their savings to the needy. The Quran emphasizes Zakat’s dual role—cleansing wealth and promoting societal welfare—highlighted in verses like Surah Al-Baqarah (2:110) and Surah At-Tawbah (9:103, 9:60). Zakat fosters equity by addressing poverty and social imbalances. Contrary to misconceptions, Zakat can be given to anyone in need, regardless of faith. In India, where Muslims face significant socio-economic challenges such as poverty and low education levels, Zakat is vital for community upliftment. However, inefficiencies in distribution and lack of transparency hinder its impact. Experts recommend creating a Central Zakat Fund, integrating it with waqf management, and using digital platforms to improve accountability and reach. Strengthening Zakat’s administration will enhance its potential to address poverty and promote justice in disadvantaged communities.
Read Moreपसमांदा आंदोलन का संक्षिप्त इतिहास
by pasmanda_admin | Mar 12, 2025 | Culture and Heritage, Pasmanda Caste, Political, Social Justice and Activism | 0 |
पसमांदा एक उर्दू शब्द है, जिसका अर्थ “जो पीछे रह गया” होता है। यह मुस्लिम धर्मावलंबी दलित, आदिवासी और पिछड़ी जातियों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका इतिहास संत कबीर से जुड़ता है, जिन्होंने इस्लाम में जातिवाद का विरोध किया। बाद में, मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने मोमिन कॉन्फ्रेंस की स्थापना की, जो एक संगठित पसमांदा आंदोलन बना। बंगाल में हाजी शरीयतुल्लाह के फरायज़ी आंदोलन और पंजाब में अगरा सहूतरा के प्रयास भी महत्वपूर्ण रहे। महाराष्ट्र में शब्बीर अंसारी ने ओबीसी सूची में पसमांदा जातियों को शामिल कराने की लड़ाई लड़ी। असम में फैय्याजुद्दीन अहमद ने मछुआरा समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। अली अनवर, डॉ. अय्यूब राईन और अन्य पसमांदा नेताओं ने सामाजिक न्याय के लिए काम किया। आज भी कई संगठन पसमांदा अधिकारों के लिए सक्रिय हैं, और डिजिटल मीडिया के माध्यम से यह विमर्श मुख्यधारा में आ रहा है।
Read Moreभारतीय स्टैंड-अप कॉमेडी: हास्य और अश्लीलता के बीच संतुलन की खोज
by Abdullah Mansoor | Feb 20, 2025 | Education and Empowerment, Social Justice and Activism | 0 |
खासकर युवाओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि यौन मजाक के संपर्क में आने वाले बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं ज्यादा होती हैं। इससे गंदी भाषा और अश्लील व्यवहार को सामान्य मानने की आदत पड़ सकती है। बच्चों में हास्य की समझ कम हो सकती है और वे अच्छे-बुरे मजाक में फर्क नहीं कर पाएंगे। इंटरनेट पर ऐसे वीडियो आसानी से मिलने से बच्चे गलत सामग्री देख सकते हैं। इससे बच्चों की जिंदगी से खुशी कम हो सकती है। नौजवानों में रोस्टिंग का चलन बढ़ गया है। मजाक के नाम पर लोग एक-दूसरे को गाली देते हैं और चुभते हुए बोल बोलते हैं। पहले ये सिर्फ मशहूर कॉमेडियन करते थे, अब हर कोई करने लगा है। इस खेल में अक्सर औरतों और कमजोर लोगों को निशाना बनाया जाता है।
दोस्तों के बीच भी ये बात आम हो गई है। इससे रिश्तों में प्यार कम हो रहा है। जवान लड़के-लड़कियां अपने दिल की बात कहने से डरने लगे हैं। उन्हें लगता है कि कहीं उनका मजाक न उड़ा दिया जाए।ये सब मिलकर समाज को बुरी तरह से बदल रहा है। लोगों के दिलों में दूसरों के लिए इज्जत कम हो रही है। औरतों को सिर्फ एक चीज की तरह देखा जा रहा है। हमें इस बारे में सोचना होगा। हालांकि, अच्छा मजाक कई तरह से फायदेमंद होता है। यह लोगों को सोचने पर मजबूर करता है और उनकी समझ बढ़ाता है। इससे अलग-अलग उम्र और संस्कृति के लोग एक-दूसरे को समझ पाते हैं। अच्छा मजाक लोगों को सिखाता भी है और उनका हौसला भी बढ़ाता है। ऐसा मजाक हमेशा याद रहता है, चाहे जमाना कितना भी बदल जाए। इससे लोगों का तनाव कम होता है और दिमागी सेहत अच्छी रहती है। लोगों की आपसी दोस्ती भी मजबूत होती है, खासकर बुजुर्गों के लिए यह बहुत जरूरी है।
Read Moreधर्म: शोषण का औज़ार या मुक्ति का माध्यम?
by Abdullah Mansoor | Feb 16, 2025 | Culture and Heritage, Social Justice and Activism | 0 |
मसऊद आलम फलाही जैसे विचारकों ने धार्मिक ग्रंथों की नई व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने इस्लामिक शिक्षाओं से समानता और न्याय का संदेश खोजा और साबित किया कि धर्म दमनकारी नहीं बल्कि मुक्ति दिलाने वाला हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका में अपार्थाइड विरोधी संघर्ष इसका एक उदाहरण है जहां आर्कबिशप डेसमंड टूटू ने ईसाई सिद्धांतों का उपयोग करते हुए नस्लीय समानता की वकालत की। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने भी बाइबिल की शिक्षाओं पर आधारित आंदोलन चलाया जिससे नस्लीय भेदभाव समाप्त हुआ।
Read Moreक्या है मुस्लिम तुष्टिकरण का असली सच? एक विचारोत्तेजक पड़ताल
by Abdullah Mansoor | Feb 11, 2025 | Casteism, Culture and Heritage, Pasmanda Caste | 0 |
इस नीति की चपेट में सबसे ज़्यादा वे लोग आये जिन्होंने कालांतर में किन्हीं कारणों से अपना मतांतरण करके मुस्लिम धर्म अपनाया था। जो कभी भी सत्ता और शासन के निकट नहीं रहे या रहने नहीं दिया गया, जिन्हें देशज पसमांदा मुस्लिम के नाम से जानते हैं, जिनकी ज़िन्दगियों में मतांतरण का कोई विशेष लाभ दृष्टिगोचर नहीं होता है और ये अपने पूर्ववर्ती सभ्यता, संस्कृति भाषा एवम् सामाजिक संरचनाओं से जुड़े हुए रहे।
Read Moreवो नक़्शे-कदम जो तारीख में कभी मद्धम नहीं पड़ते
by pasmanda_admin | Jan 31, 2025 | Casteism, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
अपने ज़िन्दगी के तमाम उतार-चढाव के बावजूद दलितों पिछड़ों और पसमांदा के संघर्ष से अपना नाता नही तोड़ा. पैसे-रुपयों की कमी या घरेलू हालात अथवा परेशानियाँ भी आप को अपने मकसद से डिगा न सकी. आप ने कांशीराम और उनकी तहरीक (आन्दोलन) को उस समय गले लगाया था जब बड़े से बड़ा सामाजिक कार्यकर्ता भी उधर मुंह करके खड़ा होने से घबराता था कि कहीं अछूत न समझ लिया जाऊं।
Read Moreशोषक और शोषित में एकता… क्या संभव है?
by pasmanda_admin | Jan 24, 2025 | Casteism, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Pasmanda Caste, Political, Social Justice and Activism | 0 |
पसमांदा शब्द के लग्वी माने जो भी हो, इस शब्द का एक पोलिटिकल meaning है. पसमांदा शब्द हमसे यह कहता है कि ‘सभी पिछड़ी जातियों एक हो जाओ और अपने मनुवादी शोषक के खिलाफ मोर्चा ले लो!’. पसमांदा शब्द अपने आप में एक revolution है, जब कि किसी जाति का नाम एक ग़ुलामी का प्रतीक, और गुलाम सभी शोषकों को पसंद हैं. पसमांदा शब्द उस आज़ादी का प्रतीक है जो जाति की बेड़ियों से मुक्त होने पर मिलती है.
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