Author: Arif Aziz

हार सिर्फ एक सोच है

असफलता वास्तविक नहीं, बल्कि मानसिक होती है। जब तक जीवन है, तब तक हार अंतिम नहीं होती। लोग दो कारणों से हार मानते हैं—मुश्किल को न समझना और अपने मकसद का स्पष्ट न होना। समाधान है: परिस्थिति को शांत मन से समझना और अपने उद्देश्य को पहचानना। “क्यों” को जानने से व्यक्ति मजबूत होता है। निर्णय सोच-समझकर लें, परिणाम स्वीकार करें और हर अनुभव से सीखें। धैर्य व निरंतरता ही असली सफलता दिलाते हैं।

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अशराफ़िया अदब को चुनौती देती ‘तश्तरी’: पसमांदा यथार्थ की कहानियाँ

सुहैल वहीद द्वारा संपादित ‘तश्तरी’ उर्दू साहित्य में पसमांदा समाज की आवाज़ को सामने लाने वाला ऐतिहासिक संग्रह है। यह पुस्तक मुस्लिम समाज में सदियों से चले आ रहे जातिगत भेदभाव और उर्दू साहित्य की चुप्पी को चुनौती देती है। अब्दुल्लाह मंसूर बताते हैं कि प्रगतिशील और अशराफ़ लेखक अपने वर्गीय हितों के कारण इस अन्याय पर मौन रहे। ‘तश्तरी’ उन कहानियों का संग्रह है जो इस मौन को तोड़ती हैं, मुस्लिम समाज के भीतर छुआछूत और सामाजिक पाखंड को उजागर करती हैं। यह किताब पसमांदा साहित्यिक आंदोलन की शुरुआत और आत्मसम्मान की लड़ाई का प्रतीक बनती है।

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