Tag: Islam
पसमांदा विमर्श के मायने...
Posted by Arif Aziz | Jun 6, 2024 | Pasmanda Caste | 0 |
डॉक्टर अंबेडकर नहीं बल्कि कुछ बहुजन बुद्धिजीवी दलि...
Posted by Arif Aziz | May 16, 2024 | Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
पसमांदा : कल, आज और कल...
Posted by Dr. Kahkashan | May 9, 2024 | Casteism, Pasmanda Caste | 0 |
पसमांदा आंदोलन के जनक आसिम बिहारी...
Posted by Arif Aziz | May 8, 2024 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste | 0 |
पैगंबर मोहम्मद का जीवन: मानवता के लिए एक मार्गदर्शक
by Azeem Ahmed | Oct 8, 2024 | Biography | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर आज पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नाम पर जिस तरह के हिंसक कृत्य...
Read MoreProphet Muhammad: A Life of Leadership and Teaching
by Azeem Ahmed | Oct 6, 2024 | Biography | 0 |
~ Dr. Uzma KhatoonDepartment of Islamic Study, A.M.U Before the birth of Prophet Muhammad, the...
Read Moreवक़्फ़ संशोधन बिल और हमारी ज़िम्मेदारी
by Abdullah Mansoor | Sep 9, 2024 | Culture and Heritage, Political | 0 |
वक़्फ़ की ज़मीन पर जो इक्का-दुक्का निर्माण कार्य किए भी गए हैं तो वह या तो मदरसे हैं या फिर मस्जिद, और वह भी सिर्फ़ पसमांदा (ओबीसी) मुसलमानों को भ्रमित करने के लिए। वास्तव में, यह आम मुसलमानों को भावनात्मक रूप से बेवकूफ़ बनाए रखने की पुरानी अशराफ़िया चाल के अलावा और कुछ नहीं है ताकि पसमांदा मुसलमान शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, समान प्रतिनिधित्व और असमानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उन से सवाल न कर सकें क्यों कि मुसलमानों के नाम पर जितने भी संगठन बने हैं, चाहे वह वक़्फ़ बोर्ड हो, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो, जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद हो या कोई अन्य संगठन हो, उन पर विदेशी मूल के अशराफ़ मुसलमानों का ही नियंत्रण है। यहां तक कि देश के 21 विश्वविद्यालयों के विभिन्न पदों पर 90% से अधिक इन्ही अशराफ़ मुसलमानों का ही क़ब्ज़ा है।
विदेशी मूल के यह अशराफ़ लोग पसमांदा मुसलमानों को फिर से मूर्ख बनाने के लिए वक़्फ़ की ज़मीन को अल्लाह की ज़मीन बतला रहे हैं ताकि वह अल्लाह के नाम पर अपनी दुकान चलाते रहें और आप सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक इन का बचाव करते रहें। भले ही आप उन अशराफ़ के इस दावे को मान भी लें कि वक़्फ़ की ज़मीन अल्लाह की ज़मीन है तो इस संदर्भ में यह भी देखें कि कुरान कहता है कि पूरी धरती ही अल्लाह ने बनाई है। इस नज़रिए के अनुसार, अशराफ़ वर्ग को पूरी पृथ्वी पर हीअपना दावा कर देना चाहिए, लेकिन नहीं…उन को दूसरों से संबंध भी तो निभाने हैं ताकि दोनों हाथों में लड्डू रहे।
Read Moreलोकसभा चुनाव 2024 का सबसे चर्चित मुद्दा मुस्लिम आरक्षण: तथ्य और मिथ्य
by Arif Aziz | Jun 10, 2024 | Pasmanda Caste, Political, Social Justice and Activism | 0 |
लोकसभा 2024 के चुनाव ने इस बार बहुचर्चित मुद्दा मुस्लिम आरक्षण था। कोई सारे मुसलमानों को आरक्षण देने की बात कर रहा था तो कोई सारे मुसलमानों के आरक्षण को खत्म करने की बात कर रहा था। मुस्लिम आरक्षण सदैव से एक अबूझ पहेली रही है। समाज से लेकर न्यायालायों तक में इस पर बहसें होती रहीं हैं।
सबसे पहले यह तथ्य समझ लेना चाहिए कि EWS (आर्थिक रूप से कमज़ोर) आरक्षण लागू होने के बाद ऐसा कोई मुस्लिम तबका नहीं है जो आरक्षण की परिधि से बाहर हो अर्थात लगभग सारे मुसलमान पहले से ही आरक्षण का लाभ लें रहें हैं। विदित रहे कि मज़हबी पहचान के नाम पर आरक्षण संविधान के मूल भावना के विरुद्ध है कोई भी मज़हब पिछड़ा या दलित नहीं होता है बल्कि उसके मानने वालो में गरीब, पिछड़े और दलित हो सकते हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए आरक्षण की EWS, ओबीसी और एसटी कैटेगरी में अन्य धर्मों के मानने वालों के साथ-साथ सारे मुसलमानों को भी समाहित किया गया।
पसमांदा विमर्श के मायने
by Arif Aziz | Jun 6, 2024 | Pasmanda Caste | 0 |
यह मात्र हाजी नेसार अंसारी की कहानी नहीं है। मुस्लिम समाज के अंदर का पच्चासी फिसदी हिस्सा रखने वाला ‘पसमांदा’ तबकें की मुसलमानों की कहानी है। जो मुस्लिम समाज में संख्या बल हाने के बावजूद इस्तेमाल किया जाता है।
Read Moreडॉक्टर अंबेडकर नहीं बल्कि कुछ बहुजन बुद्धिजीवी दलित मुस्लिमों के आरक्षण के खिलाफ हैं
by Arif Aziz | May 16, 2024 | Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
यदि संविधान कहता है कि अगर संविधान के हिसाब से सिर्फ धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता, तो सिर्फ धर्म के आधार पर आरक्षण से बाहर भी नहीं किया जा सकता। लेकिन 1950 का राष्ट्रपति आदेश बिल्कुल यही करता है, जिसमें दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों को केवल उनके धर्म के कारण एससी श्रेणी से बाहर रखा गया है। यह उनके मूल अधिकारों, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 (समानता), बल्कि अनुच्छेद 15 (कोई भेदभाव नहीं), 16 (नौकरियों में कोई भेदभाव नहीं), और 25 (विवेक की स्वतंत्रता) के भी खिलाफ है।
Read Moreपसमांदा : कल, आज और कल
by Dr. Kahkashan | May 9, 2024 | Casteism, Pasmanda Caste | 0 |
सामाजिक बराबरी के लिए आज़ाद भारत में जो भी नीतियाँ बनी हैं, उनका लाभ बहुत कम तबकों को मिल सका है। उसका कारण ज़रूरतमंद लोगों के सही आंकड़ों का उपलब्ध ना होना भी है। इस्लाम को मानने वाले समाज में यह आंकड़े इसलिए नहीं जुट सके कि वहां व्यावहारिक और सैद्धांतिक बातों में अंतर है। इस आलेख में इसी की पड़ताल करने का प्रयास है। आमतौर पर यही माना जाता है कि इस्लाम बराबरी और समानता का धर्म है जहां कोई ऊंच-नीच नहीं है। पर ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।
Read Moreपसमांदा आंदोलन के जनक आसिम बिहारी
by Arif Aziz | May 8, 2024 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste | 0 |
आसिम बिहारी का जन्म शिक्षा और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से लगे खासगंज, बिहार शरीफ के एक देशभक्त परिवार में हुआ था. उनके दादा मौलाना अब्दुर्रहमान ने 1857 की क्रांति के झंडे को बुलंद किया था. आसिम बिहारी का असल नाम अली हुसैन था.
आसिम बिहारी के संघर्ष और सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो पैदा बिहार के नालंदा में हुए, आंदोलन की शुरुआत कोलकाता से की और उनकी मृत्यु उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुई.
Understanding the Relevance of Ijtihad in India
by Azeem Ahmed | May 7, 2024 | Education and Empowerment | 0 |
~Uzma Khatoon Introduction Muslims regard the Quran as Muhammad’s most important miracle, a...
Read Moreसांप्रदायिकता किसी भी क्षेत्र की हो उसका विरोध करना चाहिए : विभूति नारायण राय
अशराफ दलित हिन्दुओं के साथ उसी तरह व्यवहार करता है जिस तरह सवर्ण हिंदू करता है
अशराफ, पसमांदा आंदोलन को इग्नोर कर रहा है और उसे हिन्दू प्रोग्रेसिव लोगो का समर्थन मिल रहा है
पुस्तक समीक्षा: इस्लाम का जन्म और विकास
by Arif Aziz | May 1, 2024 | Book Review | 0 |
मशहूर पाकिस्तानी इतिहासकार मुबारक अली लिखते हैं कि इस्लाम से पहले की तारीख़ दरअसल अरब क़बीलों का इतिहास माना जाता था। इस में हर क़बीले की तारीख़ और इस के रस्म-ओ-रिवाज का बयान किया जाता था। जो व्यक्ति तारीख़ को महफ़ूज़ रखने और फिर इसे बयान करने का काम करते थे उन्हें रावी या अख़बारी कहा जाता था। कुछ इतिहासकार इस्लाम और मुसलमान में फ़र्क़ करते हैं।
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