लेखक :-अब्दुल्लाह मंसूर
सुपरहीरो की कहानियाँ अक्सर काल्पनिक दुनिया में अच्छाई और बुराई के बीच होने वाली एक संघर्षपूर्ण लड़ाई को दर्शाती हैं, जिसमें नायक चमत्कारी शक्तियों से लैस होकर इंसानियत को बचाता है। ये कहानियाँ सरल नैतिकता और न्याय के विचारों पर आधारित होती हैं, लेकिन ‘वॉचमेन’ नाम की वेब सीरीज़ इन मान्यताओं को पूरी तरह से चुनौती देती है। यह सीरीज़ केवल एक मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह नस्लवाद, सत्ता, इतिहास, सामाजिक अन्याय और नैतिक जटिलताओं की गहराई से पड़ताल करती है। यह दर्शाती है कि नायक कौन होता है, यह सत्ता तय करती है, और जिन्हें खलनायक कहा जाता है, वे अक्सर दबे-कुचले वर्ग की असली आवाज़ होते हैं।
कहानी की शुरुआत 31 मई 1921 को अमेरिका के ओक्लाहोमा राज्य के टुल्सा शहर से होती है, जहाँ ग्रीनवुड ज़िले में बसे अफ्रीकी-अमेरिकियों का समुदाय अपनी आर्थिक सफलता और आत्मनिर्भरता के कारण ‘ब्लैक वॉल स्ट्रीट’ कहलाता था। एक छोटे से बच्चे की आँखों से यह कहानी देखी जाती है, जो एक सिनेमाघर में एक फिल्म देख रहा होता है, जिसमें एक काला नायक गोरे लोगों की जान बचा रहा है। अचानक शहर में अफरा-तफरी मच जाती है। गोरे लोगों की भीड़ उस समृद्ध काले समुदाय पर हमला कर देती है, उनके घरों और दुकानों को आग लगा देती है, बम गिराए जाते हैं, और सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली जाती है। यह बच्चा अपने माता-पिता को खोकर एक संदूक में छिपकर किसी तरह बच निकलता है।
यह इतिहास की वह भयावह घटना थी जिसे जानबूझकर अमेरिकी इतिहास की किताबों से हटा दिया गया। यह केवल एक नरसंहार नहीं था, बल्कि एक समुदाय की सामूहिक स्मृति, उसकी पहचान और उसके सपनों को मिटाने की कोशिश थी। ‘वॉचमेन’ इस भूली हुई त्रासदी को न केवल सामने लाती है, बल्कि यह दिखाती है कि किस तरह सत्ता, मीडिया और समाज मिलकर इतिहास को मिटाते हैं और झूठी कहानियाँ गढ़ते हैं। टुल्सा नरसंहार के बारे में फैलाया गया झूठ यह था कि किसी काले युवक ने एक गोरी महिला का बलात्कार किया, जबकि असली कारण उस समुदाय की आर्थिक सफलता से उपजी गोरे समाज की ईर्ष्या थी।
भारत में भी ऐसी घटनाएँ बार-बार देखी जाती हैं, जब कोई व्यक्ति अपराध करता है और पूरे समुदाय को दोषी ठहराया जाता है। दलित, आदिवासी और मुस्लिम समाज अक्सर ऐसे पूर्वाग्रहों का शिकार होते हैं। यह दिखाता है कि सामाजिक अन्याय केवल एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक बीमारी है। ‘वॉचमेन’ इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में नस्लवाद की पड़ताल करती है और सवाल उठाती है कि क्या सुपरहीरो केवल सत्ता के बनाए हुए नायक होते हैं, जो उन्हीं की रक्षा करते हैं जिन्हें राज्य उपयुक्त समझता है?
टुल्सा नरसंहार के दौरान कोई सुपरहीरो नहीं आता। न पुलिस, न सेना, न कोई चमत्कारी ताक़त। सिर्फ शोषण होता है, और खामोशी में लिपटा हुआ अन्याय। यह दृश्य पूरे सीरीज़ की बुनियाद है। ‘वॉचमेन’ का चिन्ह एक पीले चेहरे पर खून की बूंद है, जो सतह पर दिखाई देने वाली हँसी और भीतर की पीड़ा का प्रतीक है।
इस सीरीज़ की नींव 1987 की एलन मूर और डेव गिब्बन्स की कॉमिक पुस्तक पर आधारित है, जिसे 2008 में एक फ़िल्म और 2019 में एक वेब सीरीज़ के रूप में पेश किया गया। यह कहानी एक समानांतर ब्रह्मांड में घटती है जहाँ अमेरिका वियतनाम युद्ध जीत चुका है, और वियतनाम अब उसका एक राज्य बन चुका है। डॉ. मैनहैटन नाम का एकमात्र पात्र है जिसके पास वास्तविक शक्तियाँ हैं। वह समय और स्थान की सीमाओं से परे रह सकता है, नई सृष्टि कर सकता है और किसी भी वस्तु को कहीं भी भेज सकता है। पर वह भावनाओं से परे एक अस्तित्व है, जिसे मानवता की पीड़ा छूती नहीं।

बाकी सभी ‘वॉचमेन’ पात्र आम इंसान हैं – कुछ टूटे हुए, कुछ भ्रमित और कुछ हिंसक। नाइट आउल, जो तकनीकी साधनों से अपराध रोकना चाहता है; सिल्क स्पेक्टर, जो अपने अतीत के साथ संघर्ष करती है; कॉमेडियन, जो राष्ट्रवाद की आड़ में हिंसा करता है; और रोर्शच, जो स्याह और सफेद की नैतिक दृष्टि से देखता है और न्याय की अपनी परिभाषा बनाता है। ओजिमैंडियास, सबसे चतुर और अमीर व्यक्ति, यह मानता है कि अगर कम लोगों को मार कर अधिक लोगों को बचाया जा सकता है, तो यह उचित है। इसी सोच के तहत वह न्यूयॉर्क पर एक नकली एलियन हमला करवाता है जिसमें लाखों लोग मारे जाते हैं, पर इससे अमेरिका और रूस का परमाणु युद्ध टल जाता है। डॉ. मैनहैटन, जो इस सच्चाई को जानता है, रोर्शच को मार देता है क्योंकि वह यह रहस्य उजागर करना चाहता है। रोर्शच का विश्वास होता है कि बुराई को सज़ा मिलनी ही चाहिए, चाहे उसका अंजाम कुछ भी हो। वह कहता है – “बुराई को सज़ा मिलनी चाहिए, मैं समझौता नहीं करूंगा।“
अब कहानी 2019 में आती है, जहाँ अमेरिका में नकाबपोश न्याय को प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों के पास बंदूक तभी खोली जा सकती है जब कोई सीधा खतरा हो। ‘सेवन्थ कैवैलरी’ नामक एक गुप्त संस्था, जो खुद को रोर्शच का अनुयायी मानती है, इस व्यवस्था से नफरत करती है। ये लोग मानते हैं कि राष्ट्रपति रॉबर्ट रेडफोर्ड ने काले अमेरिकियों को विशेष सुविधाएँ देकर गोरे लोगों के अधिकार छीन लिए हैं। ये लोग रोर्शच की अधूरी डायरी से प्रेरित होकर आतंक फैलाते हैं।

कहानी की नायिका एंजेला एबार है, जो ‘सिस्टर नाइट’ के नाम से जानी जाती है। वह एक पुलिस अफसर है जो टुल्सा नरसंहार में बचे उस बच्चे की वंशज है। उसकी यात्रा व्यक्तिगत बदले से शुरू होती है लेकिन धीरे-धीरे वह एक बड़े सामाजिक संघर्ष का हिस्सा बन जाती है। उसके ज़रिए यह कहानी उस ऐतिहासिक दर्द से जुड़ती है जो नस्लवाद के रूप में आज भी ज़िंदा है। Seventh Kavalry के नस्ली गुंडों को लगता है कि अमेरिका में एक गोरे की ज़िंदगी एक काले की ज़िंदगी से बहुत मुश्किल है. इस बात को न्यूज़पेपर और टी.वी चैनल भी बढ़ावा देते हैं. अल्पसंख्यक के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक की ये भावना हर देश में कमोबेश ऐसी ही मिलती है. Seventh Kavalry को रोकने के लिए कमिश्नर Judd Crawford और पुलिस के कुछ स्पेक्टर साथ आते हैं जिनमे Looking Glass, Red Scare Pirate Jenny और सबसे महत्वपूर्ण Sister Night (Angela Abar) होती हैं. Angela Abar इस सीरीज़ की मुख्य किरदार हैं. इनके जरिए जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है हम अमेरिका की तीन पीढ़ियों में समान रूप से रची-बसी (गोरों का वर्चस्वाद) White supremacy के गवाह बनते हैं.
1921 में गोरे हत्यारों का नाम ‘कु क्लास क्लेन’ होता है. 1950-60 में उनका नाम Cyclone होता है तो 2019 में उनका नाम Seventh Kavalry होता है. जब आप को लगता है कि नस्लवाद समाप्त हो चुका है तो वह आपको किसी शानदार कालीन के नीचे नज़र आ ही जाता है. ‘वॉचमैन’ (Watchmen) आप को अमेरिकी नस्लवाद की गहराइयों में ले जाती है.
ये मान लेना कि दासता समाप्त होने के बाद सभी लोगों ने नस्लीय सर्वोच्चता के विचार को छोड़ दिया, एक मूर्खता होगी. ‘वॉचमैन’ (Watchmen) बहुत ही अच्छे तरीके से नस्लवाद का प्रश्न को सुपर हीरो की दुनिया उठाती है. इस सीरीज़ को एक रूपक के रूप देखा जाना चाहिए. जो वर्तमान में मौजूद हर देश के शोषकों के चरित्र को दर्शाती है. धार्मिक-जातिय-नस्लीय सर्वोच्चता के नए आयामों को दिखाती है.
डॉ. मैनहैटन, जो अब मानव रूप में जी रहा है, एंजेला से प्रेम करता है और अपनी शक्ति त्याग चुका है। पर जब सेवन्थ कैवैलरी उसे पकड़कर उसकी शक्ति छीनने की कोशिश करती है, तब एंजेला को उसकी सच्चाई का पता चलता है। मैनहैटन अंततः बलिदान देता है और एंजेला पर संकेत छोड़ जाता है कि वह अब उसका उत्तराधिकारी बन सकती है। सीरीज़ का अंत इस सवाल के साथ होता है कि क्या आम लोग भी असाधारण बन सकते हैं?

‘वॉचमेन’ सिर्फ एक काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज का आईना है। यह दिखाती है कि जब इतिहास को दबाया जाता है, जब शोषितों की आवाज़ को खामोश किया जाता है, तब वह प्रतिरोध में बदल जाती है। यह सीरीज़ बताती है कि असली नायक वे नहीं होते जो ताकतवर होते हैं, बल्कि वे होते हैं जो अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं – चाहे उनके पास कोई शक्ति हो या नहीं।
इस सीरीज़ की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। यह पूछती है कि अगर हमारे पास सच्चाई हो, तो क्या हम उसे स्वीकार कर पाएंगे? क्या हम अपनी सहूलियत के लिए झूठ को ही सच्चाई मानते रहेंगे? और क्या वाकई हम न्याय चाहते हैं या बस एक ऐसा भ्रम, जिसमें हम खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें?
‘वॉचमेन’ में नस्लवाद केवल एक विषय नहीं है, बल्कि यह पूरी कहानी की आत्मा है। यह हमें बार-बार याद दिलाती है कि इतिहास केवल किताबों में नहीं होता, वह हमारे खून में होता है। जब तक हम उसे पहचान नहीं लेते, तब तक बदलाव केवल एक सपना रहेगा। पर यह सीरीज़ एक उम्मीद भी जगाती है – कि अगर एक बच्चा अपने जलते हुए शहर से उठ सकता है, अगर एक महिला अपनी पहचान को स्वीकार कर सकती है, अगर एक समाज अपने इतिहास से सीख सकता है, तो शायद हम भी एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं। यही वह आशा की किरण है जो ‘वॉचमेन’ हमें देती है।
यह लेख 19 अप्रैल 2020 को hindi.roundtableindia.co.in पर प्रकाशित हो चुका है। यह इस लेख का संशोधित संस्करण है।
