पैगंबर मोहम्मद का जीवन: मानवता के लिए एक मार्गदर्शक
इस्लाम का उदय 7वीं शताब्दी में हुआ, जब अरब प्रायद्वीप सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से अत्यंत दयनीय स्थिति में था। अरब समाज में कबीलाई संघर्ष, बहुदेववाद और नैतिक पतन व्याप्त थे। महिलाओं की स्थिति अत्यंत निम्न थी, और कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ आम थीं। इसी दौर में पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का आगमन हुआ, जिन्होंने समाज में सुधार की नई लहर शुरू की। कुरान कहता है उन्होंने 40 वर्ष की आयु में इस्लाम का संदेश दिया और एकेश्वरवाद, न्याय और समानता के सिद्धांतों का प्रचार किया। उन्होंने मक्का की पृष्ठभूमि में, जहाँ बहुदेववाद और सामाजिक अन्याय ने जड़ें जमा रखी थीं, इस्लाम के रूप में एक नई धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था की नींव रखी। उनका उद्देश्य न केवल धार्मिक सुधार था, बल्कि सामाजिक और नैतिक सुधार भी था, जो मानवता के समग्र उत्थान की दिशा में था।
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