Author: Arif Aziz

पसमांदा आंदोलन का संक्षिप्त इतिहास

बहुत सालों बाद बाबा कबीर की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए  मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी (1890-1953) ने बाजाब्ता सांगठनिक रूप में एकअंतरराष्ट्रीय संगठन (जमीयतुल मोमिनीन/ मोमिन कांफ्रेंस) की स्थापना किया जो भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका और वर्मा तक फैला हुआ था।

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पसमांदा आंदोलन के जनक आसिम बिहारी

आसिम बिहारी का जन्म शिक्षा और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से लगे खासगंज, बिहार शरीफ के एक देशभक्त परिवार में हुआ था. उनके दादा मौलाना अब्दुर्रहमान ने 1857 की क्रांति के झंडे को बुलंद किया था. आसिम बिहारी का असल नाम अली हुसैन था.
आसिम बिहारी के संघर्ष और सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो पैदा बिहार के नालंदा में हुए, आंदोलन की शुरुआत कोलकाता से की और उनकी मृत्यु उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुई.

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मुस्लिम आरक्षण का आधा-अधूरा सच

कुछ बहुजन सोशल मीडिया दलालों द्वारा एक और अर्ध-सत्य फैलाया जा रहा है, इन मीडिया दलालों की हाल ही में हिंदू राइट के प्रति सहानुभूति है, वह कह रहे हैं कि मुस्लिम पहले से ही चार प्रकार की आरक्षण सुविधा प्राप्त कर रहे हैं – OBC वर्ग में पिछड़े मुस्लिम, ST वर्ग में आदिवासी मुस्लिम, EWS वर्ग में ऊपरी जाति (अशराफ़) मुस्लिम, और सरकार द्वारा अनुदानित मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों – और इसलिए दलित मुस्लिम (या ईसाई) को एससी वर्ग में शामिल करना गलत है।

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सांप्रदायिकता किसी भी क्षेत्र की हो उसका विरोध करना चाहिए : विभूति नारायण राय

अशराफ दलित हिन्दुओं के साथ उसी तरह व्यवहार करता है जिस तरह सवर्ण हिंदू करता है
अशराफ, पसमांदा आंदोलन को इग्नोर कर रहा है और उसे हिन्दू प्रोग्रेसिव लोगो का समर्थन मिल रहा है

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