Karbala and the Redefinition of Khilafat in Early ...
Posted by Arif Aziz | Jul 8, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment | 0 |
सुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्...
Posted by Abdullah Mansoor | Jul 6, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
बिहार से भारत तक: अब्दुल क़य्यूम अंसारी को भारत रत...
Posted by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
भारत में मुस्लिम शासन का सामाजिक स्वरूप...
Posted by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Miscellaneous, Social Justice and Activism | 0 |
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Popularपुस्तक समीक्षा: इस्लाम का जन्म और विकास
by Arif Aziz | May 1, 2024 | Book Review | 0 |
मशहूर पाकिस्तानी इतिहासकार मुबारक अली लिखते हैं कि इस्लाम से पहले की तारीख़ दरअसल अरब क़बीलों का इतिहास माना जाता था। इस में हर क़बीले की तारीख़ और इस के रस्म-ओ-रिवाज का बयान किया जाता था। जो व्यक्ति तारीख़ को महफ़ूज़ रखने और फिर इसे बयान करने का काम करते थे उन्हें रावी या अख़बारी कहा जाता था। कुछ इतिहासकार इस्लाम और मुसलमान में फ़र्क़ करते हैं।
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वक़्फ़-बोर्ड का काला सच
by Abdullah Mansoor | Sep 19, 2024 | Culture and Heritage, Political | 0 |
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‘घोउल’ के बहाने—हमारे समय की एक डरावनी चेतावनी
by Arif Aziz | Jul 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
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Top Ratedफिल्म जो जो रैबिट: नाज़ी प्रोपेगेंडा की ताकत और बाल मनोविज्ञान
by Abdullah Mansoor | Jul 17, 2024 | Movie Review, Reviews | 0 |
जोजो रैबिट (Roman Griffin Davis) 10 साल का एक लड़का है। यह तानाशाह के शासनकाल (Totalitarian regime) में पैदा हुआ है। इसलिए जोजो के लिए स्वतंत्रता, समानता, अधिकार जैसे शब्द कोई मायने नहीं रखते क्योंकि उसने कभी इन शब्दों का अनुभव ही नहीं किया है। जोजो सरकार द्वारा स्थापित हर झूठ को सत्य मानता है। सरकार न सिर्फ डंडे के ज़ोर से अपनी बात मनवाती है बल्कि वह व्यक्तियों के विचारों के परिवर्तन से भी अपने आदेशों का पालन करना सिखाती है। आदेशों को मानने का प्रशिक्षण स्कूलों से दिया जाता है। स्कूल किसी भी विचारधारा को फैलाने के सबसे बड़े माध्यम हैं। हिटलर ने स्कूल के पाठ्यक्रम को अपनी विचारधारा के अनुरूप बदलवा दिया था। वह बच्चों के सैन्य प्रशिक्षण के पक्ष में था, इसके लिए वह बच्चों और युवाओं का कैंप लगवाता था। जर्मन सेना की किसी भी कार्रवाई पर सवाल करना देशद्रोह था। सेना का महिमामंडन किया जाता था ताकि जर्मन सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार किसी को दिखाई न दे। बच्चों के अंदर अंधराष्ट्रवाद को फैलाया जाता था। इसी तरह जोजो भी खुद को हिटलर का सबसे वफादार सिपाही बनाना चाहता है
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Prophet Muhammad: A Life of Leadership and Teaching
by Azeem Ahmed | Oct 6, 2024 | Biography | 0 |
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हॉलीवुड, पश्चिमी मीडिया और ईरान: छवि निर्माण की राजनीति
by Abdullah Mansoor | Jun 21, 2025 | Movie Review, Poetry and literature, Political, Reviews | 0 |
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Latest‘घोउल’ के बहाने—हमारे समय की एक डरावनी चेतावनी
by Arif Aziz | Jul 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर नेटफ्लिक्स की सीरीज़ ‘घोउल’ डरावनी कहानियों की दुनिया में एक अलग और...
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Karbala and the Redefinition of Khilafat in Early Islam
by Arif Aziz | Jul 8, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment | 0 |
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सुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्षा
by Abdullah Mansoor | Jul 6, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
‘घोउल’ के बहाने—हमारे समय की एक डरावनी चेतावनी
by Arif Aziz | Jul 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर नेटफ्लिक्स की सीरीज़ ‘घोउल’ डरावनी कहानियों की दुनिया में एक अलग और...
Read Moreसवर्ण केंद्रित नारीवाद बनाम बहुजन न्याय का स्त्री विमर्श
by Arif Aziz | Jul 8, 2025 | Casteism, Culture and Heritage, Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
भारतीय नारीवाद में अक्सर सवर्ण, शहरी महिलाओं की आवाज़ हावी रहती है, जबकि दलित, आदिवासी और पसमांदा औरतों की हकीकतें हाशिए पर धकेल दी जाती हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास *‘कुठाँव’* मुस्लिम समाज में जाति, वर्ग और लिंग आधारित भेदभाव को उजागर करता है। बहुजन स्त्रियाँ नारीवाद को अपनी ज़मीनी ज़रूरतों—इज़्ज़त, शिक्षा, सुरक्षा और अस्तित्व—के संघर्ष से परिभाषित करती हैं। पायल तडवी की आत्महत्या जैसी घटनाएँ इस असमानता को उजागर करती हैं। लेख समावेशी और न्यायसंगत स्त्री विमर्श की वकालत करता है, जो हर महिला की पहचान, अनुभव और संघर्ष को जगह देता है—सिर्फ़ “चॉइस” नहीं, “इंसाफ़” की लड़ाई के साथ।
Read MoreKarbala and the Redefinition of Khilafat in Early Islam
by Arif Aziz | Jul 8, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment | 0 |
~ Dr. Uzma Khatoon The tragedy of Karbala is one of the most important turning points in Islamic...
Read Moreसुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्षा
by Abdullah Mansoor | Jul 6, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
लेखक :-अब्दुल्लाह मंसूर सुपरहीरो की कहानियाँ अक्सर काल्पनिक दुनिया में अच्छाई और बुराई के बीच होने...
Read Moreबिहार से भारत तक: अब्दुल क़य्यूम अंसारी को भारत रत्न देने का समय
by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
शहनवाज़ अहमद अंसारी उन्होंने बंटवारे का विरोध सत्ता के लिए नहीं, सिद्धांतों के लिए किया।उन्होंने...
Read Moreभारत में मुस्लिम शासन का सामाजिक स्वरूप
by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Miscellaneous, Social Justice and Activism | 0 |
डॉ. ओही उद्दीन अहमदभारत पर पहले भी कई बार मुसलमानों ने आक्रमण किया था, लेकिन 1206 में कुतुबुद्दीन...
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