Category: Education and Empowerment

कौन थे श्री नियामतुल्लाह अंसारी और क्या था रज़ालत टैक्स?

श्री नियामतुल्लाह अंसारी (1903–1970) स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के योद्धा थे। गोरखपुर में जन्मे, उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़कर आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। वे कांग्रेस और मोमिन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति का विरोध करते रहे। उनका सबसे बड़ा योगदान “रज़ालत टैक्स” के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई थी, जो पसमांदा मुसलमानों पर थोपे गए अपमानजनक कर का अंत कर गई। 1939 में अदालत ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फ़ैसला दिया। अंसारी ने दबे-कुचले समाज को सम्मान दिलाया और समानता की मशाल जलाकर सामाजिक क्रांति की राह प्रशस्त की।

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सोशल मीडिया से सड़कों तक जनरेशन-ज़ेड का तूफ़ान

दक्षिण एशिया में युवा आंदोलनों ने सत्ता संरचनाओं को चुनौती दी है। श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हालिया उथल-पुथल युवाओं की साझा चेतना और भ्रष्टाचार-विरोधी आवाज़ को दर्शाती है। नेपाल में जनरेशन-ज़ेड ने सोशल मीडिया प्रतिबंध, बेरोजगारी और वंशवाद के खिलाफ आंदोलन किया, जिससे राजनीतिक बदलाव हुए। बालेन शाह जैसे नेता सामने आए और सरकार को प्रतिबंध हटाने व सुधार की दिशा में कदम उठाने पड़े। स्थिर भविष्य के लिए युवाओं की आकांक्षाओं को शामिल कर लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत करना अनिवार्य है।

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क्या मौलिकता की दुश्मन है हमारी स्कूल व्यवस्था?

अब्दुल्लाह मंसूर अपने लेख में स्कूल व्यवस्था की आलोचना करते हैं कि यह बच्चों की मौलिकता और जिज्ञासा को दबा देती है, उन्हें मशीन जैसा बना देती है और औद्योगिक क्रांति के फैक्ट्री मॉडल पर आधारित है। परीक्षा, ग्रेड और अनुशासन के दबाव में बच्चे सोचने और सवाल पूछने की क्षमता खो देते हैं, बस रटंत शिक्षा रह जाती है। वह पाउलो फ्रेरे के “बैंकिंग मॉडल” के विरोध में संवाद आधारित, सोचने-समझने वाली शिक्षा की बात करते हैं। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) का समर्थन करते हुए वे कहते हैं कि असली शिक्षा आत्म-खोज, रचनात्मकता, आलोचनात्मक दृष्टि और मानवता के विकास के लिए है, न कि केवल अंकों और नौकरी तक सीमित।[1]

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Islam Against Dowry: Reclaiming Women’s Dignity in Marriage

Dowry, once a voluntary gift for a bride’s welfare, has become a tool of greed, oppression, and violence, claiming thousands of women’s lives annually in India. Families fall into debt, daughters are treated as commodities, and brides are harassed or killed when demands aren’t met. Despite the Dowry Prohibition Act, weak enforcement and social stigma hinder justice. True change requires education, gender equality, property rights for women, and rejecting lavish marriage customs. From an Islamic perspective, dowry is un-Islamic; Islam prescribes Mahr, which empowers women. Society must combine legal reform, awareness, and empowerment to abolish dowry and protect women’s dignity.

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यहूदी समाज की तरक्की और हमारी पसमांदगी का सबब

यहूदी समाज ने सदियों तक सताए जाने के बावजूद शिक्षा, तर्क और वैज्ञानिक सोच को अपनाकर खुद को आगे बढ़ाया, जबकि मुस्लिम समाज धीरे-धीरे किस्मत और तक़दीर पर भरोसा, धार्मिक तंगदिली और वैज्ञानिक जिज्ञासा से दूरी के कारण पिछड़ गया। यहूदियों ने किताबें और रिसर्च को हथियार बनाया, जबकि मुस्लिम समाज ने सवालों को “फितना” मानकर दबाया। पसमांदा मुसलमानों के लिए यह लेख एक आईना है—सिर्फ नारे नहीं, बल्कि शिक्षा, विकल्प और बराबरी की लड़ाई ही असली रास्ता है।

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सवर्ण केंद्रित नारीवाद बनाम बहुजन न्याय का स्त्री विमर्श

भारतीय नारीवाद में अक्सर सवर्ण, शहरी महिलाओं की आवाज़ हावी रहती है, जबकि दलित, आदिवासी और पसमांदा औरतों की हकीकतें हाशिए पर धकेल दी जाती हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास *‘कुठाँव’* मुस्लिम समाज में जाति, वर्ग और लिंग आधारित भेदभाव को उजागर करता है। बहुजन स्त्रियाँ नारीवाद को अपनी ज़मीनी ज़रूरतों—इज़्ज़त, शिक्षा, सुरक्षा और अस्तित्व—के संघर्ष से परिभाषित करती हैं। पायल तडवी की आत्महत्या जैसी घटनाएँ इस असमानता को उजागर करती हैं। लेख समावेशी और न्यायसंगत स्त्री विमर्श की वकालत करता है, जो हर महिला की पहचान, अनुभव और संघर्ष को जगह देता है—सिर्फ़ “चॉइस” नहीं, “इंसाफ़” की लड़ाई के साथ।

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MindHunter: अपराधी कैसे सोचते हैं?

MindHunter एक गंभीर और शोधपरक क्राइम ड्रामा है, जो FBI की Behavioral Science Unit की शुरुआत और अपराधियों के मनोविज्ञान की पड़ताल करता है। यह दिखाता है कि कैसे समाज, परिवार और बचपन के आघात अपराध की जड़ बनते हैं। सीरीज़ संवादों, मानसिक द्वंद्व और गहरी सिनेमैटोग्राफी के जरिए अपराध के पीछे छिपे कारणों को उजागर करती है। यह क्रिमिनल प्रोफाइलिंग और ‘सीरियल किलर’ जैसी अवधारणाओं की नींव रखती है। MindHunter मनोरंजन नहीं, बल्कि चेतना जगाता है। यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि अपराध केवल व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी भी हो सकती है।

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