Category: Education and Empowerment

सवर्ण केंद्रित नारीवाद बनाम बहुजन न्याय का स्त्री विमर्श

भारतीय नारीवाद में अक्सर सवर्ण, शहरी महिलाओं की आवाज़ हावी रहती है, जबकि दलित, आदिवासी और पसमांदा औरतों की हकीकतें हाशिए पर धकेल दी जाती हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास *‘कुठाँव’* मुस्लिम समाज में जाति, वर्ग और लिंग आधारित भेदभाव को उजागर करता है। बहुजन स्त्रियाँ नारीवाद को अपनी ज़मीनी ज़रूरतों—इज़्ज़त, शिक्षा, सुरक्षा और अस्तित्व—के संघर्ष से परिभाषित करती हैं। पायल तडवी की आत्महत्या जैसी घटनाएँ इस असमानता को उजागर करती हैं। लेख समावेशी और न्यायसंगत स्त्री विमर्श की वकालत करता है, जो हर महिला की पहचान, अनुभव और संघर्ष को जगह देता है—सिर्फ़ “चॉइस” नहीं, “इंसाफ़” की लड़ाई के साथ।

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MindHunter: अपराधी कैसे सोचते हैं?

MindHunter एक गंभीर और शोधपरक क्राइम ड्रामा है, जो FBI की Behavioral Science Unit की शुरुआत और अपराधियों के मनोविज्ञान की पड़ताल करता है। यह दिखाता है कि कैसे समाज, परिवार और बचपन के आघात अपराध की जड़ बनते हैं। सीरीज़ संवादों, मानसिक द्वंद्व और गहरी सिनेमैटोग्राफी के जरिए अपराध के पीछे छिपे कारणों को उजागर करती है। यह क्रिमिनल प्रोफाइलिंग और ‘सीरियल किलर’ जैसी अवधारणाओं की नींव रखती है। MindHunter मनोरंजन नहीं, बल्कि चेतना जगाता है। यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि अपराध केवल व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी भी हो सकती है।

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समीक्षा: “एडोलेसेंस”, किशोरों की ज़िंदगी और उनकी चुनौतियाँ

लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर नेटफ्लिक्स की सीरीज “एडोलेसेंस” एक ऐसी कहानी है जो किशोरों की दुनिया की...

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समीक्षा: व्हेन लाइफ गिव्स यू टेंजेरीन

कोरियाई ड्रामा ‘व्हेन लाइफ गिव्स यू टेंजराइन्स’ एक भावनात्मक यात्रा है, जो खुशी, रिश्तों, संघर्ष और आत्म-खोज की गहराई को दर्शाती है। यह जेजू द्वीप के एक छोटे गाँव की पृष्ठभूमि में ए-सुन और ग्वान-सिक की कहानी है—एक साधारण लड़की जो कविताएं लिखना चाहती है और एक शांत, जिम्मेदार युवक जो बिना कहे प्यार जताता है। मां-बेटी के रिश्ते, पीढ़ियों की सोच का टकराव, औरतों का संघर्ष, और गांव की सामूहिकता—यह सब मिलकर जीवन के खट्टे-मीठे रंगों को दिखाते हैं। सादगी, सिनेमैटोग्राफी और गहराई से भरी यह सीरीज़ हर दिल को छू जाती है।

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पितृसत्ता और मर्द: मर्दानगी का बोझ, एक अनकही कैद

लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर हमारे समाज में बहुत पुरानी एक सोच चली आ रही है, जिसमें मर्दों को औरतों से...

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