Category: Reviews
सुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्...
Posted by Abdullah Mansoor | Jul 6, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
बिहार से भारत तक: अब्दुल क़य्यूम अंसारी को भारत रत...
Posted by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
हॉलीवुड, पश्चिमी मीडिया और ईरान: छवि निर्माण की रा...
Posted by Abdullah Mansoor | Jun 21, 2025 | Movie Review, Poetry and literature, Political, Reviews | 0 |
टॉर्चेस ऑफ़ फ्रीडम: जब नारीवादी आंदोलन को पूंजीवाद...
Posted by Abdullah Mansoor | Jun 17, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
‘द बॉयज़’ वेब सीरीज़: जब मसीहा खुद सबसे बड़ा खतरा ...
Posted by Abdullah Mansoor | Jun 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
‘घोउल’ के बहाने—हमारे समय की एक डरावनी चेतावनी
by Arif Aziz | Jul 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर नेटफ्लिक्स की सीरीज़ ‘घोउल’ डरावनी कहानियों की दुनिया में एक अलग और...
Read Moreसुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्षा
by Abdullah Mansoor | Jul 6, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
लेखक :-अब्दुल्लाह मंसूर सुपरहीरो की कहानियाँ अक्सर काल्पनिक दुनिया में अच्छाई और बुराई के बीच होने...
Read Moreबिहार से भारत तक: अब्दुल क़य्यूम अंसारी को भारत रत्न देने का समय
by Arif Aziz | Jul 1, 2025 | Biography, Movie Review, Pasmanda Caste, Social Justice and Activism | 0 |
शहनवाज़ अहमद अंसारी उन्होंने बंटवारे का विरोध सत्ता के लिए नहीं, सिद्धांतों के लिए किया।उन्होंने...
Read Moreहॉलीवुड, पश्चिमी मीडिया और ईरान: छवि निर्माण की राजनीति
by Abdullah Mansoor | Jun 21, 2025 | Movie Review, Poetry and literature, Political, Reviews | 0 |
**100 शब्दों में सारांश (हिंदी में):**
आज की दुनिया में युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि छवियों, फिल्मों और मीडिया के ज़रिए भी लड़े जाते हैं। हॉलीवुड और पश्चिमी मीडिया ने एक वैचारिक “छवि युद्ध” छेड़ा है, जिसमें ईरान जैसे देशों को खलनायक, पिछड़ा और असहिष्णु दिखाया जाता है। *Argo*, *Homeland* जैसी फ़िल्में इस छवि को मज़बूत करती हैं। यह सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि अमेरिकी सॉफ्ट पावर और वैश्विक जनमत निर्माण की रणनीति है। एडवर्ड सईद के “ओरिएंटलिज़्म” सिद्धांत के अनुसार, पश्चिम अक्सर पूर्व को नीचा दिखाता है। इसलिए जरूरी है कि दर्शक फिल्मों और मीडिया को आलोचनात्मक नजरिए से देखें और सच व प्रचार में फर्क करना सीखें।
Read Moreटॉर्चेस ऑफ़ फ्रीडम: जब नारीवादी आंदोलन को पूंजीवाद ने अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किया
by Abdullah Mansoor | Jun 17, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
नारीवादी आंदोलन ने महिलाओं की आज़ादी, बराबरी और आत्मनिर्भरता का सपना देखा था, लेकिन पूंजीवाद ने इस आंदोलन की भावनाओं को उत्पाद बेचने के औज़ार में बदल दिया। “टॉर्चेस ऑफ़ फ्रीडम” जैसे उदाहरण दिखाते हैं कि बाज़ार कैसे आज़ादी के प्रतीकों को मुनाफे के लिए इस्तेमाल करता है। महिलाओं को स्वतंत्रता का भ्रम दिया गया, जबकि वे एक नई उपभोक्ता संस्कृति में फंस गईं। यह समस्या केवल नारीवाद तक सीमित नहीं, बल्कि हर सामाजिक आंदोलन अब बाज़ार के हिसाब से ढाला जा रहा है। असली आज़ादी सोचने, असहमति जताने और विकल्प चुनने की शक्ति में है।
Read More‘द बॉयज़’ वेब सीरीज़: जब मसीहा खुद सबसे बड़ा खतरा हो
by Abdullah Mansoor | Jun 12, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
~ अब्दुल्लाह मंसूर हम अक्सर सुपरहीरो को एक आदर्श के रूप में देखते आए हैं—निस्वार्थ, सच्चे और...
Read MoreAmerican Gods: आस्था, आधुनिकता और पहचान की जंग
by Abdullah Mansoor | Jun 2, 2025 | Movie Review, Reviews | 0 |
**सारांश (100 शब्दों में):**
*American Gods* एक फैंटेसी सीरीज़ है जो आस्था, पहचान, प्रवास और आधुनिकता जैसे गहरे सवालों को छूती है। यह दिखाती है कि देवता विचार हैं—जिनमें लोगों की आस्था उन्हें शक्ति देती है। जब विश्वास बदलता है, तो देवता भी खो जाते हैं। सीरीज़ में पुराने देवता नई तकनीकी और पूंजीवादी ताक़तों से जूझ रहे हैं। Shadow Moon की यात्रा के माध्यम से यह मिथ, प्रवास और मानवीय रिश्तों की कहानी बन जाती है। इसके संवाद, दृश्य, प्रतीक और संगीत मिलकर इसे केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक दार्शनिक अनुभव बनाते हैं—जो दर्शक से सवाल करता है, उत्तर नहीं थोपता।
MindHunter: अपराधी कैसे सोचते हैं?
by Abdullah Mansoor | May 31, 2025 | Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Movie Review, Reviews | 0 |
MindHunter एक गंभीर और शोधपरक क्राइम ड्रामा है, जो FBI की Behavioral Science Unit की शुरुआत और अपराधियों के मनोविज्ञान की पड़ताल करता है। यह दिखाता है कि कैसे समाज, परिवार और बचपन के आघात अपराध की जड़ बनते हैं। सीरीज़ संवादों, मानसिक द्वंद्व और गहरी सिनेमैटोग्राफी के जरिए अपराध के पीछे छिपे कारणों को उजागर करती है। यह क्रिमिनल प्रोफाइलिंग और ‘सीरियल किलर’ जैसी अवधारणाओं की नींव रखती है। MindHunter मनोरंजन नहीं, बल्कि चेतना जगाता है। यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि अपराध केवल व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी भी हो सकती है।
Read Moreसमीक्षा: “एडोलेसेंस”, किशोरों की ज़िंदगी और उनकी चुनौतियाँ
by Abdullah Mansoor | May 28, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Movie Review | 0 |
लेखक: अब्दुल्लाह मंसूर नेटफ्लिक्स की सीरीज “एडोलेसेंस” एक ऐसी कहानी है जो किशोरों की दुनिया की...
Read Moreसमीक्षा: व्हेन लाइफ गिव्स यू टेंजेरीन
by Arif Aziz | May 25, 2025 | Education and Empowerment, Movie Review, Reviews | 0 |
कोरियाई ड्रामा ‘व्हेन लाइफ गिव्स यू टेंजराइन्स’ एक भावनात्मक यात्रा है, जो खुशी, रिश्तों, संघर्ष और आत्म-खोज की गहराई को दर्शाती है। यह जेजू द्वीप के एक छोटे गाँव की पृष्ठभूमि में ए-सुन और ग्वान-सिक की कहानी है—एक साधारण लड़की जो कविताएं लिखना चाहती है और एक शांत, जिम्मेदार युवक जो बिना कहे प्यार जताता है। मां-बेटी के रिश्ते, पीढ़ियों की सोच का टकराव, औरतों का संघर्ष, और गांव की सामूहिकता—यह सब मिलकर जीवन के खट्टे-मीठे रंगों को दिखाते हैं। सादगी, सिनेमैटोग्राफी और गहराई से भरी यह सीरीज़ हर दिल को छू जाती है।
Read Moreसुन री सखी, मेरी प्यारी सखी!
by Abdullah Mansoor | May 13, 2025 | Culture and Heritage, Education and Empowerment, Gender Equality and Women's Rights, Movie Review | 0 |
लेखिका: पायल …तभी सखी को एहसास होता है कि लड़कियाँ लड़कों से कम थोड़े न हैं। अतः सखी ने अपनी...
Read Moreसंक्षिप्त_समीक्षा : Mickey17
by Arif Aziz | May 10, 2025 | Education and Empowerment, Movie Review, Reviews | 0 |
बोंग जून-हो, जिन्होंने ‘पैरासाइट’ जैसी ऑस्कर विजेता फिल्म बनाई है, अपनी नई...
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