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बंदिश बैंडिट्स का माही – एक समाज की आवाज़ या आवाज़ का बाज़ारीकरण?
by Abdullah Mansoor | Feb 2, 2025 | Movie Review | 0 |
एंटी-कास्ट सिनेमा में बहुजन समाज का अनुभव, उनकी जीवन-शैली, संस्कृति केंद्र बिंदु पर होता है जिसे उनकी भाषा, भोजन, भाव-भंगिमा से चित्रित किया जाता है। अंबेडकरवादी विचारधारा को बोलकर नहीं बल्कि उनके कार्यों, निर्णयों, अन्याय के प्रति उनकी सोच में दिखाया जाता है। अंबेडकर, बुद्ध, कबीर, इलयाराजा का संगीत, सावित्री-ज्योतिबा फुले इत्यादि के प्रतीक चिन्ह आपको एंटी-कास्ट पात्र के आस-पास देखने को मिलते हैं जो इंगित करते हैं कि वो समाज की पहचान, इतिहास और संघर्षों के प्रति जागरूक है।
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