In these constant struggles and travels, he had to face many troubles as well as financial difficulties. Many of the times had to deal with hunger issues too. At the same time, his daughter Baarka was born in the house, but the whole family was drowning in debt and hunger for long. …
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मौलाना अशरफ अली थानवी हनफ़ी फ़िक़्ह के देवबंदी शाखा के सबसे बड़े उलेमा में से एक हैं। मौलाना न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे इस्लामी-दुनिया में अपने इस्लामी-ज्ञान के विद्वाता के कारण एक विशिष्ट स्थान रखते हैं लेकिन उनका धुर साम्प्रदायिक, द्विराष्ट्र-सिद्धान्त का समर्थक, गाँधी विरोध, भाईचारा एवं समानता विरोध, पसमांदा विरोध आदि विचारो से स्पष्ट होता है कि वो अशराफ चरित्र के वाहक थे। …

మౌలానా అలీ హుస్సేన్ "ఆసిమ్ బిహారీ" ఏప్రిల్ 15, 1890 న బీహార్ లోని నలంద జిల్లా, బీహార్ షరీఫ్ లోని మొహల్లా ఖాస్ గంజ్ లో ముస్లిం పేద పసమంద చేనేత కార్మికుల కుటుంబంలో జన్మించాడు. 1906 లో, 16 సంవత్సరాల వయస్సులో, కోల్కతాలోని ఉషా సంస్థలో తన వృత్తిని ప్రారంభించాడు. పని చేస్తున్నప్పుడు, అతను చదువులలో మరియు పుస్తకాలు చదవడంలో ఆసక్తిని కొనసాగించాడు. అతను అనేక రకాల కదలికలలో చురుకుగా ఉండేవాడు. తను చేసే ఉద్యోగం నిర్భాధానలతో కూడినవంటిది, ఆ విద్యోగానిని విడిచి, తన జీవనోపాధి కోసం అతను బీడీలు తయారుచేసే పనిని ప్రారంభించాడు. అతను బీడీ వర్కర్ సహోద్యోగుల బృందాన్ని తయారు …

सदियों से दबी-कुचली मोमिन बिरादरी में यह एक नए इन्क़लाब का आग़ाज़ था। पहले अन्जुमन इस्लाह-बिल-फ़लाह फिर जमीयत-उल-मोमिनीन के नाम से यह तहरीक आगे बढ़ती रही जो 1928 ई० में ऑल इण्डिया मोमिन कॉन्फ्रेंस में तब्दील (बदल) हो गई। अब्दुल क़य्यूम अंसारी अपनी सियासी ज़िन्दगी के आग़ाज़ से ही कांग्रेस, ख़िलाफ़त तहरीक और मोमिन तहरीक से वाबस्ता (जुड़े) थे लेकिन जब अपने वसीअ तर (बड़े) नस्ब-उल-ऐन (मक़सद) के साथ मोमिन तहरीक के क़ायद (नेता) बने …

समय के साथ हिन्दू समाज का पसमांदा वर्ग (पिछड़े और दलित) आंदोलित और मुखर हो कर ख़ुद को स्थापित करता है लेकिन यहाँ भी अशराफ़ वर्ग 'धर्म और धार्मिक एकता की नीति' को आगे बढ़ाते हुए पूरे मुस्लिम समाज की ओर से स्वयं को ही प्रतिनिधि मनवा लेता है और यह आंदोलन भी मुस्लिम समाज के जातिगत विभेद को नकारते हुए मुसलमान के नाम पर अशराफ़ का उसी तरह तुष्टिकरण करना प्रारम्भ करते हैं जैसा …

यह गिरोह जिस पकिस्तान आन्दोलन को पसमांदा मुस्लिमों का आन्दोलन बता रहा है उस पाकिस्तान आन्दोलन का नेतृत्व करने वाली मुस्लिम लीग का शीर्ष नेतृत्व तो दूर की बात है सम्पूर्ण भारत में उस मुस्लिम लीग में दस-बीस ज़िला अध्यक्ष और ज़िला महासचिव मुश्किल से पसमांदा रहे होंगे। पाकिस्तान आन्दोलन को तो किसी भी तरह से पसमांदा मुसलमानों का आन्दोलन कहा ही नहीं जा सकता। बल्कि अब्दुल क़य्यूम अन्सारी साहब के साथ नवाब हसन साहब …
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